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दिल्ली हिंसा क्या राहुल गांधी के दौरे से गर्मा जाएगी दिल्ली की राजनीति…

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उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में पिछले दिनों भड़की हिंसा में 46 से लोगों की मौत हुई थी और 250 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को पार्टी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ दिल्ली के हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर पीड़ितों के दर्द को समझने की कोशिश की तो बीजेपी ने नाक-भौं सिकोड़ लिए. कांग्रेस नेताओं ने राहुल के हिंसा प्रभावित इलाके दौरे को हीलिंग टच बताया है तो बीजेपी इसे हिंसा पीड़ितों के लिए ‘ब्लीडिंग टच’ बता रही है.

देश की राजधानी की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन आती है और विपक्ष भी दिल्ली पुलिस के रवैये को लेकर गृह मंत्री अमित शाह पर सवाल खड़े कर रहा है. दिल्ली हिंसा के दस दिन गुजर गए हैं, इसके बावजूद भी न तो अमित शाह और न ही बीजेपी का कोई बड़ा नेता हिंसा पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए उनके बीच पहुंचा है. ऐसे में राहुल गांधी के हिंसा प्रभावित दौरे से सियासत गर्मा गई है.

बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में बुधवार को कांग्रेस नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली हिंसा प्रभावित इलाके का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की. कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, शक्ति सिंह गोहिल, केसी वेणुगोपाल, के सुरेश, गौरव गोगोई और ब्रह्म मोहिंद्रा शामिल थे, जिन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के कई इलाकों में पीड़ितों से मिलकर उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है.

राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का डेलिगेशन सबसे पहले चांद बांग पहुंचा और वहां हिंसा पीड़तों का दर्द सुना. राहुल गांधी ने यहां फारुकिया मस्जिद का मुआयना भी किया, जिसमें हिंसा के दौरान आग लगा दी गई थी. इसके बाद राहुल गांधी ने हिंसा प्रभावित इलाके बृजपुरी में अरुण पब्लिक स्कूल में तबाही का मंजर देखा, जिसे उपद्रवियों ने जला दिया था.

राहुल ने कहा, ‘ये जो स्कूल है, ये हिंदुस्तान का भविष्य है और यहां पर नफरत और हिंसा ने इसे खत्म किया है. नफरत और हिंसा ने महज एक स्कूल की इमारत को नहीं, बल्कि देश के भविष्य को जलाया है. इससे किसी का फायदा नहीं हुआ है.’

हिंसा प्रभावित इलाके के जले हुए घरों व दुकानों देखने के बाद राहुल ने कहा कि हिंसा ने हिंदुस्तान की ताकत- भाईचारा, एकता और प्यार को जलाया है. उन्होंने कहा कि जब राजधानी में हिंसा होती है तो दुनिया में देश की छवि खराब होती है, इस हिंसा से भारत माता को कोई फायदा होने वाला नहीं है. इस समय सभी को मिलकर काम करना होगा और भारत को आगे ले जाना होगा.

वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राहुल गांधी के दौर पर सवाल खड़े किए. भाटिया ने कहा कि हिंसा में मारे गए पुलिस हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल और आईबी के अंकित शर्मा के घर राहुल गांधी क्यों नहीं गए, क्या इसलिए कि वो मुसलमान नहीं थे. दिल्ली को हिंसा में झोकने वाले ताहिर हुसैन के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने अपने दौरे से हिंसा पीड़ितों को ‘ब्लीडिंग टच’ दिया है. इन आरोपों पर कांग्रेस प्रवक्ता ने अभय दुबे ने जवाब दिया कि राहुल गांधी हिंसा पीड़ितों का हाल जानने गए किसी का धर्म जानने नहीं. धर्म के आधार पर बीजेपी भेदभाव करती है.

दिल्ली हिंसा को लेकर कांग्रेस काफी आक्रामक है. लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही भी इस मुद्दे की वजह से बाधित चल रही है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हिंसा से लोगों का विश्वास आहत हुआ है. उन्होंने कहा, इतनी बड़ी तबाही मची, 46 लोगों की मौत हुई, ढाई सौ से ज्यादा लोग घायल हैं, फिर भी इसी दिल्ली में रहने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हिंसा प्रभावित इलाकों को देखने अभी तक क्यों नहीं आए?

दिल्ली हिंसा प्रभावित इलाके में गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के किसी बड़े नेता के नहीं जाने से सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि दिल्ली तीन दिनों तक हिंसा में जलती रही. दिल्ली पुलिस पर आरोप लग रहा है कि हिंसा को रोकने के लिए समय रहते दिल्ली पुलिस उचित कदम नहीं उठा सकी. इसके आलावा कुछ ऐसे वीडियो भी आए हैं, जिनमें दिल्ली पुलिस सीसीटीवी कैमरे तोड़ती और उपद्रवियों के साथ के साथ खड़ी नजर आ रही है. हालांकि हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल ने प्रभावित इलाके का दौरा किया था.

बताते चलें कि 2013 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद तत्कालीन अखिलेश सरकार ने स्थानीय एसपी को निलंबित कर दिया था और केंद्र की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस सरकार के मुखिया तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दंगा प्रभावित इलाके का दौरा किया था और पीड़ितों से मुलाकात की थी. हालांकि, बाद में अखिलेश यादव ने भी दंगा प्रभावित इलाके का दौरा किया था. ऐसे में केंद्र की सत्ता पर काबिज बीजेपी नेताओं और मोदी सरकार के मंत्रियों के दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा न करने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं

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