शहर के नए मास्टर प्लान में बड़ा तालाब एक बार फिर निशाने पर है। मास्टर प्लान-2031 के ड्राफ्ट में बड़े तालाब के किनारे 45 मीटर चौड़ी सड़क बनाने और लेक फ्रंट डेवलपमेंट का प्रावधान कर दिया गया है। इसे लेकर अफसरों का तर्क तो यह है कि इससे तालाब का संरक्षण होगा और सौंदर्यीकरण बढ़ेगा, लेकिन टाउन प्लानर्स, आर्किटेक्ट्स और पर्यावरणविद् कह रहे हैं कि यह प्रावधान तो बड़े तालाब को ही खत्म कर देगा। खासतौर पर तालाब का ईको सेंसेटिव जोन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।
खास बात यह है कि वर्ष 2009 में जारी मास्टर प्लान-2021 का ड्राफ्ट भी बड़े तालाब के आसपास के प्रावधानों को लेकर ही विवादों में आया था। खासकर- 1. बड़े तालाब के किनारे 32 एकड़ कैचमेंट की जमीन पर रेसिडेंशियल और कमर्शियल लैंडयूज की अनुमति देने और 2. बड़े तालाब किनारे 30 मीटर से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग बनाने की छूट देने जैसे प्रावधानों के कारण शहर में तीखा विरोध हुआ था। कुल 2090 आपत्तियां आईं, इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा बड़े तालाब को लेकर थीं। नतीजा ये हुआ कि अगस्त 2009 को जारी हुआ ड्राफ्ट 18 अप्रैल 2010 को रद्द करना पड़ा।
अभी बड़े तालाब की स्थिति-रेतघाट से लालघाटी तक एफटीएल पर वीआईपी रोड है। कुछ हिस्सा एफटीएल के भीतर भी है। बोट क्लब, वन विहार, भदभदा से सूरज नगर व बिसनखेड़ी तक तालाब किनारे रोड है। एक तरफ लालघाटी से भैंसाखेड़ी और दूसरी तरफ बिसनखेड़ी से खजूरी सड़क होते हुए भैंसाखेड़ी तक तालाब किनारे कोई रोड नहीं है। जहां रोड नहीं,
वहां रोड बनानी है। र्क टीएंडसीपी का- मास्टर प्लान तैयार करने के लिए कराए सर्वे में पता चला कि लालघाटी चौराहे से तालाब की ओर डेढ़ किमी तक अतिक्रमण हो रहा है। तालाब के किनारे के निजी भूस्वामी भी मिट्टी डालकर उसे पूर रहे हैं। नगर निगम ने भी तालाब के हर कोने तक पहुंच के लिए रोड बनाने का सुझाव दिया था। जियोस की बैठक में तालाब की हदबंदी के लिए चारों ओर सड़क का प्रस्ताव आया उसके बाद इसे प्लान में शामिल किया गया।
नो कंस्ट्रक्शन जोन में 50 मीटर बफर जोन के बाद सड़क, बॉटनीकल गार्डन, एसटीपी व यूटिलिटी की अनुमति। बड़े तालाब के कैचमेंट में 4000 वर्ग मीटर (43055.64 वर्गफीट यानी 0.98 एकड़) के फार्म हाउस की अनुमति मिलेगी। अधिकतम 5% ग्राउंड कवरेज, अधिकतम 7 मीटर ऊंचाई, स्लोपी रूफ, न्यूनतम 25% ग्रीनरी। भास्कर एक्सपर्ट पैनल – मास्टर प्लान में बड़े तालाब को लेकर किए गए प्रावधानों पर पर्यावरणविद् और टाउन प्लानर्स की चिंता…
बड़े तालाब के संरक्षण के लिए तैयार कराई गई सेप्ट की रिपोर्ट में बिसनखेड़ी को सबसे सेंसेटिव जोन माना है। इस क्षेत्र में माइग्रेटरी बर्ड्स आती हैं और यह उनका ब्रीडिंग ग्राउंड है। इसी वजह से बड़े तालाब को रामसर साइट यानी वेटलैंड का दर्जा मिला हुआ है। इसी जोन के कारण तालाब के पानी की गुणवत्ता भी बरकरार है। इसी वजह से इस क्षेत्र के सबसे ज्यादा संरक्षण की जरूरत है। सड़क बनने से यहां मानव गतिविधियां बढ़ेंगी। इससे ईको सिस्टम बिगड़ जाएगा जिससे तालाब के पानी की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है।
तालाब के किनारे सड़क बनाने का प्रावधान वेटलैंड के कंसेप्ट के एकदम विपरीत है। सड़क बनते ही इस क्षेत्र में केरवा डैम रोड के समान ही ढाबे और छोटी दुकानें बन जाएंगी। कब्जे हो जाएंगे। यहां बढ़ने वाली मानवीय गतिविधियों को रोकना मुश्किल हो जाएगा। भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट के तहत सेंसेटिव जोन में रिजवान बाग और उसके आगे प्लांटेशन किया गया था और जहां यह प्लांटेशन हुआ वहां तालाब आज भी सुरक्षित है। यदि पहुंच मार्ग के लिए सड़क बनाना है तो पैदल पथ बनाया जा सकता है।
बिसनखेड़ी और भैंसाखेड़ी की तरफ बरसात के बाद दो या तीन महीने ही पानी नजर आता है। इसके बाद उस तरफ कोई पर्यटक क्यों जाना चाहेगा? एेसे में इस क्षेत्र में लेक फ्रंट डेवलप करने का कोई अर्थ नहीं है। प्लानिंग के हिसाब से यह बहुत अच्छा लगता है कि तालाब के चारों तरफ सड़क बनाई जाए, लेकिन इससे तालाब एक टैंक में बदल जाएगा। यहां सामान्य सड़क नहीं बल्कि जैसी जमीन उपलब्ध है वैसी ही सड़क बनाई जा सकती है