इस साल 24 और 25 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जो कुछ हुआ, शायद ही उसकी भरपाई हो पाए. 53 लोगों की मौत हो गई. सैकड़ों लोग घायल हो गए. कई बच्चे अनाथ हो गए. कईयों के घर तबाह हो गए और तबाह भी इस कदर हुए कि उनके घरों की दीवारें तो दोबारा रंग जाएंगी लेकिन उन घरों में रहने वाले लोगों की जिंदगी में रंग कब लौटेंगे, कुछ पता नहीं. दिल्ली हिंसा के जख्मों को भरने में वक्त जरूर लगेगा लेकिन इसकी सिहरन उन लोगों के दिलोदिमाग से कभी नहीं जाएगी, जो इसके चश्मदीद रहे हैं. इन दो दिनों तक चले मौत के तांडव पर तमाम विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर हमला बोल रही हैं के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ देर पहले एक ट्वीट करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है.
असदुद्दीन ओवैसी ने जिस खबर को ट्वीट करते हुए लिखा है, उसमें मुस्तफाबाद ईदगाह कैंप के पास रहने वाला 11 साल का अहमद कह रहा है कि अब वह अमन चाहता है. ओवैसी ने लिखा, ‘दिल्ली में हुई तबाही ने बहुतों के बचपन को बाधित किया है. पालतू जानवरों के साथ खेलने से लेकर ‘बाहरी लोगों पर नजर रखने’ तक. स्कूल से लेकर राहत शिविर तक. किसी के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए, कम से कम हमारे बच्चों के साथ तो बिल्कुल नहीं. अमित शाह को भारत को बताना चाहिए कि उन लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने हमारे बच्चों के साथ ऐसा किया है.’
गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा में अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों लोग अस्पतालों में भर्ती हैं. दिल्ली हिंसा की जांच के लिए SIT का गठन किया गया है. जांच टीम ने करीब 700 FIR दर्ज कर तकरीबन 2200 लोगों को गिरफ्तार या हिरासत में लिया है. दिल्ली सरकार ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने के लिए प्रभावित इलाकों में अभियान चलाया है. राज्य सरकार के अनुसार, अभी तक दो करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा दिया जा चुका है. अलग-अलग दल और संस्थाएं भी पीड़ितों की मदद कर रही हैं. इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है.