मध्य प्रदेश के विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति ने कांग्रेस के 22 बागी विधायकों को नोटिस भेजा है. स्पीकर ने सभी विधायकों को उनके आधिकारिक निवास पर नोटिस भेजा है. इससे पहले कमलनाथ सरकार के 6 मंत्रियों को स्पीकर ने नोटिस भेजा था. विधानसभा स्पीकर ने कहा कि मैं कायदे और कानूनों से बंधा हुआ हूं.
विधानसभा स्पीकर के नोटिस के बाद हर हाल में विधायकों को सदन में उपस्थित होना होगा. सदन में उन्हें बताना होगा कि किसी दबाव के चलते उन्होंने पद से इस्तीफा दिया है या अपनी इच्छा से उन्होंने अपनी पार्टी से अलग रुख अख्तियार किया है. विधानसभा में विधायकों को शुक्रवार को सदन में मौजूद रहना होगा.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 समर्थक विधायक अगर सदन में भी कह देते हैं कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है और इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता है तो सदन में कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना होगा. फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने के लिए उन्हें कम से कम 104 का आंकड़ा जुटाना होगा. वहीं बीजेपी के पास कुल 107 विधायक हैं. अगर बीजेपी के दावों को सच मानें तो कांग्रेस बहुमत से दूर है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ भी अपनी सरकार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस के नेता अब बीजेपी विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. पहले ही कांग्रेस का साथ दे चुके नारायण त्रिपाठी और शरद कोल के अलावा बुंदेलखंड और महाकोशल के तीन अन्य विधायक कांग्रेस के साथ बताए जा रहे हैं.
वहीं बीजेपी का दावा है कि उसके सभी विधायक पार्टी के साथ खड़े हैंवहीं मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता जीतू पटवरी और डीके शिवकुमार रणनीति तैयार कर रहे हैं. बेंगलुरू में जिन कांग्रेस के बागी विधायकों को ठहराया गया है , वहीं जीतू पटवारी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के बीच झड़प हुई है. जीतू पटवारी को हिरासत में ले लिया गया है. मध्य प्रदेश में अब सरकार का भविष्य कैसे तय होगा, इस पर मुहर शुक्रवार को ही लगेगी.