पेड़ काटकर सड़कें चौड़ी करना बेवकूफी है। एक पेड़ काटकर दस पेड़ लगाने की बात भी पूरी तरह बेमानी है। एक पेड़ को बड़ा होने में करीब 30 से 40 साल लगते हैं। आप जो पेड़ लगा रहे हैं वो जीवित रहेगा, इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती? शहर का मास्टर प्लान बनाते समय यह ध्यान रखा जाना चाहिए जिसमें सड़कों को चौड़ा करने की जरूरत नहीं पड़े। सड़क को चौड़ा करने से पहले पूरी तरह ट्रैफिक का अध्ययन करना चाहिए वो भी पीक ऑवर्स तभी आप ट्रैफिक से जुड़ी मूलभूत समस्याएं समझ पाएंगे।
सड़क पर ज्यादा ट्रैफिक न हो इसके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना चाहिए। बड़ी बसों के साथ छोटे टेम्पो चलाइए, ताकि संकरी गलियों में येे आसानी से आ जा सकें।
मास्टर प्लान शहर के नागरिकों की रोजमर्रा की दिक्कतों को दूर करने वाला होना चाहिए। साथ ही ऐसी प्लानिंग हो कि शहर में सुरक्षा के पुख्ता हो सकें और नागरिक सुरक्षित रह सकें।
बढ़ते ट्रैफिक कंजेशन की समस्या को दूर करने के लिए सड़कें चौड़ी करना समाधान नहीं है। पेड़ काटकर सड़कें चौड़ी करते जाएंगे, ऐसे में पेड़ कम होंगे और वाहनों की संख्या बढ़ती जाएंगी। लोग ऑक्सीजन लेने कहां जाएंगे। उनके स्वास्थ्य का क्या होगा? ऐसी प्लानिंग होना चाहिए कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य मिल सके। (मास्टर प्लान के ड्राफ्ट पर आयोजित पहले एफजीडी में जैसा उन्होंने कहा।)
पुणे के औंध क्षेत्र में बढ़ते ट्रैफिक कंजेशन के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी वहां सड़क चौड़ीकरण का एक प्रोजेक्ट लेकर आ रहे थे। लेकिन उन्होंने लोकल कार्पोरेटर माधुरी मधुकर मुसले और अफसरों को कहा कि सड़क चौड़ी करने की बजाय यहां फुटपाथ बनाना और पार्किंग की सुविधा देना समस्या का समाधान है। पहले यहां के ट्रैफिक का अध्ययन किया। पीक समय में कितने वाहन और पदयात्री सड़क पर होते हैं।
वाहन कहां और कैसे पार्क होते हैं। इसके बाद कुल 24 मीटर चौड़ी जगह में 12 मीटर की सड़क बनाई। 2-2 मीटर दोनों तरफ यानी कुल 4 मीटर जगह पार्किंग के लिए दी और सड़क के दोनों तरफ 4-4 मीटर यानी कुल 8 मीटर का फुटपाथ बनाया। दुकानों के सामने और दूसरे खुले स्थान पर जगह मिलने पर फुटपाथ की चौड़ाई 12 मीटर तक कर दी। यहां 8 साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग और बल्कि दिव्यांग व्यक्तियों को भी आप सुरक्षित रूप से टहलते हुए देख सकते हैं। इस सबके लिए एक भी पेड़ नहीं काटा बल्कि उन्हें व्यवस्थित किया।
भोपाल में सड़कें चौड़ी करने या नई सड़कें बनाने के लिए पेड़ों की कटाई मामूली बात है। बीआरटीएस कोरिडोर के लिए बैरागढ़ से लेकर मिसरोद तक पेड़ काटे गए। स्मार्ट सिटी के तहत बन रही बुलेवर्ड स्ट्रीट सहित अन्य सड़कों के लिए पेड़ों की कटाई हो रही है।देसाई को जब यह बताया कि भोपाल में कम से कम 6000 पेड़ काट कर स्मार्ट सिटी बसाई जा रही है तो उन्होंने आश्चर्य जताया। देसाई ने कहा कि स्मार्ट सिटी की प्लानिंग ऐसी होना चाहिए जिसमें पर्यावरण की रक्षा हो सके।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स की भोपाल इकाई के चेयरमैन विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि मास्टर प्लान के ड्राफ्ट को लेकर एफजीडी(फोकस ग्रुप डिस्कशन) का यह सिलसिला जारी रहेगा। देश भर से विशेषज्ञों को बुलाकर हम टाउन प्लानिंग पर चर्चा करेंगे ताकि शहर के मास्टर प्लान को लेकर हम बेहतर विकल्प पेश कर सकें।