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फांसी से सिर्फ एक दिन पहले दोषी मुकेश की नई चाल, SC में दाखिल की नई याचिका…

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निर्भया मामले के दोषी मुकेश ने फांसी से एक दिन पहले नई चाल चली है. उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फांसी पर रोक की मांग की है. मुकेश ने अपनी अर्जी में मांग की है कि फांसी से पहले उसे किसी भी कोर्ट में याचिका दाखिल करने की इजाजत दी जाए. मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उसके साथ निष्पक्ष न्याय नहीं हुआ. साथ ही कहा है कि घटना के वक्त वो दिल्ली में मौजूद नहीं था बल्कि राजस्थान में था. मुकेश ने अपनी याचिका में डीएनए और आयरन रॉड दोनों ही थ्योरी पर सवाल उठाया. साथ ही कहा कि इस मामले के दस्तावेज़, रिकॉर्ड और रिपोर्ट सीबीआई से जांच कराई जाए और कोर्ट उन्हें मंगाये.

वहीं, दिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया मामले के चार दोषियों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद ने बुधवार को पुतलों को फांसी देकर अभ्यास किया. दोषियों को जेल में शुक्रवार को फांसी दी जानी है. उधर दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक दोषी की एक और याचिका को खारिज कर दिया है. जेल अधिकारियों ने बताया कि पवन मंगलवार को मेरठ से राजधानी पहुंचे और उन्होंने रस्सी से पुतलों को फांसी देकर अभ्यास किया. इस रस्सी का इस्तेमाल दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाने के लिए होगा. तिहाड़ जेल के इतिहास में यह पहली बार होगा जब एक ही अपराध के लिए एक ही समय पर चार दोषियों को फांसी दी जाएगी.

पवन अपने परिवार में तीसरे पीढ़ी के जल्लाद हैं. उन्होंने पहले कहा था कि उनके दादा ने सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी पर लटकाया था. इन दोनों को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के संबंध में फांसी दी गई थी. इसके अलावा उनके दादा ने कुख्यात अपराधी रंगा और बिल्ला को भी फांसी दी थी. पांच मार्च को एक निचली अदालत ने मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था. चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जाएगी.

अदालत ने मृत्यु वारेंट को तीन बार इस आधार पर टाल दिया गया था कि दोषियों के सभी कानूनी उपचार समाप्त नहीं हुए हैं और एक या अन्य दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को एक चलती बस में बर्बरता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस घटना के करीब 15 दिन बाद पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. इस घटना ने देश को हिला दिया था. पीड़िता को को निर्भया नाम से जाना गया.

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