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M.P. में ‘कमल’ या ‘कमलनाथ SC में लगातार तीसरा दिन आज हो सकता है फैसला…

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सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश में शक्ति परीक्षण मामले को लेकर आज फिर से सुनवाई होनी है. बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने बागी विधायकों से न्यायाधीशों के चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश को ठुकराते हुये कहा कि विधानसभा जाना या नहीं जाना विधायकों पर निर्भर है, लेकिन उन्हें बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता. न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से मध्य प्रदेश में उत्पन्न राजनीतिक संकट को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की और कहा कि वह विधानसभा द्वारा यह निर्णय करने के बीच में नहीं पड़ेगी कि किसके पास सदन का विश्वास है लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपने अधिकार का इस्तेमाल करें. पीठ ने इन विधायकों का चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश यह कहते हुये ठुकरा दी कि ऐसा करना उचित नहीं होगा

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नौ विधायकों के साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को सवेरे साढ़े दस बजे तक के लिये स्थगित कर दी थी. अब आज इस मामले में फिर सुनवाई होगीबागी विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट से कहा था कि यह गलत है कि विधायकों का अपहरण किया गया और जबरदस्ती के सभी आरोप बकवास हैं. सिंह ने कहा, “उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया. विधानसभा अध्यक्ष को उनके इस्तीफे स्वीकार करने के लिए निर्देश जारी किया गया.”

भाजपा ने जोर देकर कहा कि वह 16 बागी कांग्रेस विधायकों को ला सकती है और चैंबर में न्यायाधीश चंद्रचूड़ और गुप्ता के सामने पेश कर सकती है और न्यायाधीश विधायकों के विचारों का पता लगा सकते हैं. कोर्ट में कांग्रेस की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ”आज हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं. राज्य की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया. सबसे बड़ी पार्टी ने उस दिन विश्वास मत जीता था. 18 महीनों से बहुत ही स्थिर सरकार काम कर रही थी.

कांग्रेस ने आगे कहा, ”स्पीकर को ये देखना होगा कि इस्तीफे स्वैच्छिक हैं या नहीं.” दवे ने कहा, ”विधायकों को अगुवा किया गया. राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का जो आदेश भेजा वो पूरी तरह असंवैधानिक है कांग्रेस ने गवर्नर पर सवाल खड़ा करते हुए उनके पत्र का हवाला दिया और कहा, ”गवर्नर ये कैसे कह सकते हैं कि हमारे पास बहुमत नहीं है जबकि बहुमत परीक्षण भी नहीं हुआ. कोई भी विश्वास मत 16 विधायकों की उपस्थिति में होना चाहिए . यदि कांग्रेस से जुड़े 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है और यदि सीट खाली हो गई है, तो विश्वास मत को उक्त 22 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं के प्रतिनिधित्व के बिना नहीं रखा जा सकता है, जिसे केवल चुनाव द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है.’

जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, ”जब स्पीकर ने 6 का इस्तीफा स्वीकार किया तो क्या उन्होंने सभी 22 विधायकों पर अपने विवेक का इस्तेमाल किया.” इस पर दवे ने कहा, ”आज सबसे बुनियादी मुद्दा यह है कि राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट के लिए कैसे निर्देशित कर सकते हैं? वह यह तय करने वाले कोई नहीं है. इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है. दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है. राज्यपाल द्वारा ऐसा कोई भी आदेश संवैधानिक रूप से ठहरने वाला नहीं है.

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सभी बागी विधायकों को न्यायाधीशों के चैंबर में पेश करने का प्रस्ताव रखा जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वैकल्पिक उपाय के अंतर्गत कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल गुरुवार को जाकर इन बागी विधायकों से मुलाकात कर सकते हैं और सारी कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कर सकते हैं

मुकुल रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे, जिनमें से छह इस्तीफे स्वीकार किये जा चुके हैं, के बाद राज्य सरकार को एक दिन भी सत्ता में बने रहने नहीं देना चाहिए. रोहतगी ने आरोप लगाया कि 1975 में आपात काल लगाकर लोकतंत्र की हत्या करने वाली पार्टी अब डा बी आर आम्बेडकर के उच्च सिद्धांतों की दुहाई दे रही है मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में बुधवार की रात को कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में बेंगलुरू में भाजपा द्वारा बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों से मुलाकात करने गए कांग्रेस नेताओं को कर्नाटक पुलिस द्वारा मिलने से रोकने, अभद्र व्यवहार करने एवं बल पूर्वक हिरासत में लेने को लेकर सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव पारित किया गया.

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