टांडा अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीज डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्टाफ की कठिन तपस्या की बदौलत ठीक हो रहे हैं। कोरोना वार्ड में डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी दिन-रात 24 घंटे कठिन ड्यूटी दे रहे हैं। डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ 24 घंटे में तीन शिफ्टों में ड्यूटी देते हैं।ज्ञा्ा
एक शिफ्ट में तीन डॉक्टर और तीन नर्सें होती हैं, जिनकी लगातार आठ घंटे ड्यूटी होती है। लेकिन, कोरोना वार्ड में पॉजिटिव मरीजों का इलाज करते समय डॉक्टरों और नर्सों के लिए यह आठ घंटे की ड्यूटी बेहद कठिन होती है। इन आठ घंटों के दौरान कुछ भी खा-पी नहीं सकते हैं।
ड्यूटी इतनी कठिन होती है कि डॉक्टर और नर्सें लघु शंका के लिए शौचालय तक नहीं जा सकते। उन्हें लगातार मरीजों की देखभाल करनी होती है। डॉक्टरों और नर्सों के लिए आठ घंटे की ड्यूटी इतनी कठिन इसलिए हो जाती है क्योंकि कोरोना वार्ड में जाने से पहले उनको पीपीई किट (पर्सनल प्रोटेक्शन एक्युपमेंट) पहननी पड़ती है।
एक बार पीपीई किट पहनने के बाद इसे ड्यूटी के दौरान खोला नहीं जा सकता। ऐसा होने पर संक्रमण से ग्रसित होने का खतरा बन जाता है। इसलिए 8 घंटे तक डॉक्टर और नर्सें पीपीई किट पहनने के दौरान कोई भी खाद्य पदार्थ और जल ग्रहण नहीं कर पाते हैं। न ही शौच तक जा पाते हैं।
टांडा अस्पताल के कोरोना वार्ड में डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी अपने परिवार से 21 दिन से पहले नहीं मिल पाते हैं। रोजाना आठ घंटे की ड्यूटी करने के बाद डॉक्टरों, पैरा मेडिकल स्टाफ के रहने के लिए टांडा अस्पताल प्रबंधन ने अलग से व्यवस्था की है।
कोरोना वार्ड में स्टाफ का ड्यूटी रोस्टर सात दिन का रहता है। सात दिन ड्यूटी देने के बाद डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ को 14 दिन के आईसोलेशन के लिए एकांत स्थान पर भेज दिया जाता है। फिर 21 दिन बाद डॉक्टर, नर्सें और अन्य स्टाफ अपने परिवार से मिल पाते हैं।
टांडा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. भानु अवस्थी ने कहा कि कोरोना वार्ड में ड्यूटी का रोस्टर सात दिन का होता है। सात दिन बाद स्टाफ को 14 दिन के क्वारंटीन पीरियड पर भेजा जाता है। 21 दिन बाद स्टाफ अपने परिवार से मिल पाता है। आठ घंटे की ड्यूटी के दौरान पीपीई किट नहीं खोलने का नियम है। यह गाइडलाइंस स्वास्थ्य विभाग की हैं।