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न नौकरी-न राशन सूरत में परेशान मजदूरों ने घर वापसी के लिए सड़क पर फूंकी गाड़ियां….

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कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए देशभर में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू है. इस बीच गुजरात के सूरत में हजारों मजदूर सड़कों पर निकल आए हैं. गुजरात में कोरोना के बढ़ते मामले और लॉकडाउन के बीच सूरत अचानक उबलने लगा. हजारों की तादाद में प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए और घर भेजने की मांग करने लगे. बवाल इतना बढ़ गया कि मजदूरों ने आगजनी की घटना को अंजाम दिया. पुलिस ने जब कुछ लोगों को हिरासत में लिया तब जाकर मामला शांत हुआ.

देश की हीरा नगरी सूरत में शुक्रवार को अचानक हाहाकार मच गया. एक साथ हजारों मजदूर सड़कों पर उतर आए. मजदूरों ने जमकर हंगामा किया. उन्होंने कई गाड़ियों और ठेलों में आग लगा दी. दरअसल, शुक्रवार की दोपहर तक सूरत में सब कुछ सामान्य था. लोगों में कोरोना की दहशत और सड़कों पर लॉकडाउन का सन्नाटा पसरा था. लेकिन शाम ढलते ही शहर के लसकाना इलाके की खामोशी शोर शराबे में तब्दील हो गई. इलाके में रह रहे दूसरे राज्यों के सारे मजदूरों ने मोर्चा खोला और घर वापसी की मांग करने लगे.

दरअसल, सूरत में रह रहे मजदूरों ने शुरुआत में लॉकडाउन का पालन किया और वहीं डटे रहे. लेकिन अब उनका आरोप है कि उन्हें सैलरी नहीं मिल रही है. उनके पास राशन पानी के भी पैसे खत्म हो गए हैं. वहीं, मजदूरों के हंगामे की खबर सुनते ही पुलिस ने मोर्चा संभाला और कई लोगों को हिरासत में लिया. तब जाकर कहीं मामला काबू में आया.

गुजरात में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. पूरे सूबे में अभी तक कोरोना के 378 केस सामने आए हैं. जिसमें अहमदाबाद में 197, वडोदरा में 59, सूरत में 27, भावनगर में 22 और राजकोट में 18 मामले हैं.

कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें…
बता दें कि गुजरात में कोरोना से अब तक 19 लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे हालात के बीच सूरत में मजदूरों का हंगामा चिंताजनक है. सरकार को ये तय करना चाहिए उनकी मुश्किलें दूर हों और वो वहीं रहें.

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