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सुमित्रा महाजन

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सुमित्रा महाजन  जन्म- 12 अप्रैल, 1943, रत्नागिरि, महाराष्ट्र, भारतीय जनता पार्टी की प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञों में से एक हैं। वह 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष रही हैं। अपने कार्यकर्ताओं के बीच वे ‘सुमित्रा ताई’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। वर्ष 1982-1985 में पहली बार सुमित्रा महाजन इंदौर नगर निगम में उपमहापौर बनी थीं। वे 1989 से लगातार लोकसभा चुनाव जीतती आ रही हैं। लोकसभा सांसद सुमित्रा महाजन नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं, चौदहवीं, पंद्रहवीं और अब सोलहवीं लोकसभा की भी सदस्य हैं।
जीवन परिचय
सुमित्रा महाजन का जन्म 12 अप्रैल, सन 1943 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि ज़िले में चिपलुन नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम नीलकंठ साठे तथा माता का नाम ऊषा था। सुमित्रा महाजन ने अपनी एम.ए. तथा एल.एल.बी. की डिग्री ‘इंदौर विश्वविद्यालय’ (अब देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय) से प्राप्त की थी।

विवाह
सुमित्रा जी का विवाह 29 जनवरी, 1965 को इंदौर के प्रसिद्ध वकील जयंत महाजन से हुआ था। ये दो पुत्रों की माता हैं।

राजनीति में प्रवेश
वर्ष 1982 में पहली बार सुमित्रा ताई इंदौर नगर निगम में उपमहापौर बनी थीं। इसके बाद राजनीति में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सुमित्रा महाजन निरंतर इंदौर लोकसभा क्षेत्र से आठ बार जीत हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने 1989 में अपने ससुराल इंदौर से पहली बार चुनाव लड़ा था। तब पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रकाश चंद्र सेठी को उनसे हार का सामना करना पड़ा था। मराठी परिवार से ताल्लुक होने के चलते सुमित्रा महाजन की मराठी वोटों पर अच्छी पकड़ रही है। सुमित्रा महाजन प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 1999 से 2004 तक राज्‍यमंत्री रहीं। वे इंदौर संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी की सांसद हैं। वे यहां से लगातार आठवीं बार सांसद बनी हैं, जो किसी भी महिला सांसद के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। सुमित्रा महाजन इंदौर में पहले बहू, फिर बेटी और अब ‘सुमित्रा ताई’ (बहन) के नाम से जानी जाती हैं।[2]

राजनीतिक सफ़र
1982-85 :- पार्षद, नगर निगम, इंदौर
1984-85 :- उप-महापौर, नगर निगम, इंदौर
1989 :- नौवीं लोक सभा के लिए निर्वाचित
1990-91 :- सदस्य, परामर्शदात्री समिति, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, अध्यक्ष, महिला मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), मध्य प्रदेश
1991 :- दसवीं लोक सभा के लिए पुनः निर्वाचित (दूसरा कार्यकाल)
1990-91 :- सदस्य, 73वां संविधान संशोधन विधेयक संबंधी संयुक्त समिति
1990-93 :- सदस्य, प्रसव-पूर्व निदान तकनीक (विनियम और दुरुपयोग निवारण) विधेयक, 1991 संबंधी संयुक्त समिति
1991-96 :- सदस्य, परामर्शदात्री समिति, संचार मंत्रालय
1992-94 :- उपाध्यक्ष, भाजपा, मध्य प्रदेश
1995-96 :- सचिव, भा.ज.पा. संसदीय बोर्ड, अध्यक्ष, संसदीय बोर्ड, मध्य प्रदेश
1996 :- ग्यारहवीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित (तीसरा कार्यकाल)
1998 :- बारहवीं लोक सभा के लिए पुनः निर्वाचित (चौथा कार्यकाल)
1998-99 :- संयोजक, औषध नियंत्रण संबंधी उप-समिति, मानव संसाधन विकास संबंधी समिति
1999 :- तेरहवीं लोक सभा के लिए पुनःनिर्वाचित (पांचवां कार्यकाल)
अक्तूबर, 1999 – जून, 2002 :- केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री
जुलाई, 2002 – मई, 2003 :- केन्द्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री
24 मई, 2003 – मई, 2004 :- केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री
2004 :- चौदहवीं लोक सभा के लिए पुनःनिर्वाचित (छठा कार्यकाल)
2004-09 :- सदस्य, सामान्य प्रयोजनों संबंधी समिति सभापति, सामाजिक न्याय और अधिकारिता संबंधी समिति
2009 :- पन्द्रहवीं लोक सभा के लिए पुनः निर्वाचित (सातवां कार्यकाल)
जून, 2009 :- सदस्य, सभापति तालिका
31 अगस्त, 2009 – 18 मई 2014 :- सभापति, ग्रामीण विकास संबंधी स्‍थायी समिति
23 सितम्बर, 2009 – 18 मई 2014 :- सदस्य, महिलाओं को शक्तियाँ प्रदान करने संबंधी समिति
18 मई 2014 :- 16वीं लोक सभा के लिए पुन: निर्वाचित (आठवाँ कार्यकाल)
6 जून 2014 :- 16वीं लोक सभा के लिए अध्यक्ष निर्वाचित।[3]
मृदुभाषी व्यक्तित्त्व
आठ बार भाजपा की सांसद चुनी गईं मृदुभाषी सुमित्रा महाजन को लोग प्यार से ताई यानि बड़ी बहन बुलाते हैं। सुमित्रा संघर्ष में तपी नेता हैं जो कि निचले स्तर से लोकसभा अध्यक्ष के शीर्ष पद तक पहुंची हैं। दिलचस्प बात है कि महिला सांसदों में सबसे वरिष्ठ सांसद 71 वर्षीय सुमित्रा महाजन का आधिकारिक नाम 16वीं लोकसभा के सांसदों की सूची में सुमित्रा महाजन (ताई) के तौर पर दर्ज है। मीरा कुमार के बाद महाजन लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली दूसरी महिला हैं। वकील से राजनेता बनीं सुमित्रा अपनी सरलता, ईमानदारी और साफ छवि के साथ-साथ चुनाव में जीत के शानदार रिकॉर्ड के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने एक सक्रिय सांसद के रूप में केवल महत्वपूर्ण समितियों का ही नेतृत्व नहीं किया है, बल्कि वह सदन के भीतर अच्छी बहस करने वाली और एक उत्साही प्रश्नकर्ता भी रही हैं। सौम्य व्यवहार करने वाली सुमित्रा एक ऐसी राजनेता के रूप में उभरी हैं, जिन्होंने 1989 में इंदौर से सांसद बनने के बाद से कभी हार का मुंह नहीं देखा और विपक्षी नेताओं की एक पीढ़ी उन्हें हराने का इंतजार ही कर रही हैं। हालांकि सांसद बनने से पहले उन्हें इंदौर विधानसभा चुनावों में तीन बार हारना पड़ा था।

लगातार आठवीं बार लोकसभा सांसद
सुमित्रा ने इस बार चुनाव में 4.67 लाख मतों के अंतर जीत दर्ज करके लगातार आठवीं बार इंदौर लोकसभा सीट जीती। सुमित्रा ने भाजपा में रहते हुए राजनेता के रूप में विकास किया। वह 1990 में मध्य प्रदेश में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष और 1998 में राष्ट्रीय महासचिव बनीं। महाजन वर्ष 1992 में पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई की उपाध्यक्ष थीं और वर्ष 1995 में भाजपा विधायक दल की अध्यक्ष बनने से पहले वे भाजपा की मध्यप्रदेश इकाई की सचिव बनीं। इसके अलावा वे वर्ष 2005 में भाजपा महिला मोर्चा की प्रमुख थीं। सांसद के तौर पर महाजन मानव संसाधन विकास (एचआरडी) समेत विभिन्न समितियों और मूल्य आधारित शिक्षा पर इसकी उपसमिति की सदस्य रही हैं।

महिला कल्याण और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में भी सक्रिय
सुमित्रा महाजन औषध नियंत्रण पर उपसमिति की संयोजक रही हैं। वे महिला सशक्तीकरण पर संयुक्त समिति और महिलाओं से जुड़े कानूनों (आपराधिक कानूनों) के मूल्यांकन पर बनी उपसमिति से भी जुड़ी रही हैं। वे सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण पर बनी समिति और ग्रामीण विकास की स्थायी समिति की अध्यक्ष भी रही हैं। उनकी रुचि मराठी साहित्य, कविता और नाटक में है। वे कई सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ी हैं। भाजपा नेता महिला कल्याण और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। वे मध्यप्रदेश में मराठी अकादमी की पूर्व अध्यक्ष, इंदौर में अहिल्या उत्सव समिति और समकालीन अध्ययन केंद्र की प्रमुख और इंदौर-पारसपुर सहकारी बैंक एवं महाराष्ट्र ब्राहमण सहकारी बैंक की पूर्व निदेशक रही हैं।[4]

लोकसभा अध्यक्ष
सुमित्रा महाजन ने 5 जून, 2014 को लोकसभा अध्यक्ष के लिए नामांकन भरा था। उन्हें 6 जून, 2014 को निर्विरोध लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। ऐसा पहली बार हुआ है कि ‘भारतीय जनता पार्टी’ का कोई सांसद लोकसभा अध्यक्ष बना है।

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