अपने परिवार से दूर रहकर कोरोना पीड़ितों और संदिग्ध मरीजों की सेवा में एक योद्धा की तरह डॉक्टर, नर्सें, अस्पतालों का स्टाफ, पुलिस कर्मचारी लगे हैं। देश इन कोरोना कर्मवीरों के आगे नतमस्तक है। ऐसी ही एक कोरोना कर्मवीर स्टाफ नर्स नेरचौक मेडिकल कॉलेज में तैनात है, जो अपने दो वर्षीय बच्चे को घर में पति के पास अकेला छोड़ कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगी हैं।
स्टाफ नर्स भारती की सास कीमोथैरेपी पर हैं। बच्चे और अन्य परिवार के सदस्यों की देखभाल के लिए भी उनकी घर को जरूरत है, लेकिन अपनी ड्यूटी पर वह एक योद्धा की तरह डटी हैं। उनकी ड्यूटी उसी रूम में है, जहां कारोना की चपेट में आए चारों जमाती भर्ती हैं।
सात अप्रैल से भारती कोटली क्षेत्र के गोखड़ा गांव में अपने घर नहीं जा सकी हैं। 24 घंटे वह सेवा दे रही हैं। उनके साथ वार्ड सिस्टर हेमलता के अलावा नर्स रुकमणि और मीना भी ड्यूटी पर हैं। इनका कहना है कि वीडियो कॉल या फोन पर ही वह अपने परिवार वालों से जुड़ी हैं
इनका कहना है कि देश सेवा के लिए उन्हें जो मौका मिला है, उसे वह बखूबी निभाना चाहती हैं। परिवार को वह हमेशा समय देती आई हैं, लेकिन आज देश के लिए उन्हें सेवा देने का जो समय मिला है उसे वह व्यर्थ नहीं जाने देंगी।
वार्ड सिस्टर हेमलता ने बताया कि उनके पति डीपीओ कुल्लू हैं और बेटा शिमला में बीटेक कर रहा है। वे दोनों और उनकी सास आजकल घर पर हैं।उ उनकीबेटी यूरेशिया से एमबीबीएस कर रही है, लेकिन स्मार्टफोन से घर पर परिवार से बातचीत हो रही है। वे 24 घंटे अपनी सेवाएं दे रही हैं। इसके बाद 14 दिन के लिए क्वारंटीन पर रहेंगी।