Home राष्ट्रीय कोरोना से जंग में कमतर नहीं दिखना चाहती कांग्रेस…

कोरोना से जंग में कमतर नहीं दिखना चाहती कांग्रेस…

5
0
SHARE

कोरोना संक्रमण के खिलाफ जारी देशव्यापी जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर आदेश का लोगों ने पूरी तरह से पालन किया है. कोरोना के विरोध में चाहे ताली-थाली बजाने का हो फिर मोमबत्ती जलाने का. अभी तक सारा श्रेय पीएम मोदी को मिला है. ऐसे में कांग्रेस कोरोना विरोधी लड़ाई में अपने आपको अदृश्य नहीं दिखाना चाहती है. इसीलिए कोरोना के दूसरे फेज की लड़ाई में कांग्रेस ने फ्रंटफुट पर उतरकर खेलना शुरू कर दिया है और अपनी मौजूदगी को दर्शा रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को संबोधन से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देशवासियों के लिए अपना वीडियो संदेश जारी किया है. इस संदेश में सोनिया गांधी ने लोगों से एहतियात बरतने की अपील की. साथ ही कोरोना फाइटर्स की तारीफ भी की. इसके अलावा उन्होंने कहा कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता देशवासियों की मदद के लिए तैयार है. सोनिया ने अपने संबोधन वो तमाम बातें कहीं है, वही सारी बातें पीएम मोदी अभी तक करते रहे हैं.

निया गांधी ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि इस कोरोना महामारी संकट के दौरान आप सब अपने-अपने घरों में सुरक्षित होंगे. सबसे पहले मैं इस संकट के समय में भी शांति, धैर्य और संयम बनाए रखने के लिए सभी देशवासियों को दिल से धन्यवाद करती हूं. उम्मीद करती हूं कि आप सभी लॉकडाउन का पूरी तरह पालन कर रहे होंगे और अपने-अपने घरों में रहें. समय-समय पर अपने हाथ धोते रहें. बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही घर के बाहर कदम रखें और वो भी मास्क, चुन्नी या गमछा लगाकर. आप सभी इस लड़ाई में सहयोग करें.’

सोनिया गांधी ने कहा, ‘आज कोरोना के इस संकट से निपटने में आप सभी का इस लड़ाई में खड़े रहने से बड़ी देशभक्ति और क्या हो सकती है. हम इस मुश्किल समय में आपके परिवार जनों, पति-पत्नी-बच्चों, माता-पिता के त्याग और बलिदान को कभी नहीं भूल सकते.’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कोरोना योद्धाओं का भी सम्मान करने की अपील की है.

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चार बार पत्र लिखकर कोरोना के संकट में समर्थन करने का भरोसा दिया और सुझाव भी दे चुकी हैं. सोनिया गांधी की चिट्ठी के बाद पार्टी ने अपने मुख्यमंत्रियों को अलग से भी मैदान में उतार दिया.

कांग्रेस मुख्यमंत्रियों ने मीडिया में आगे आकर यह सियासी संदेश देने की कोशिश करनी शुरू कर दी कि कोरोना विरोधी लड़ाई में बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में वो ज्यादा काम कर रहे हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ शनिवार को हुए मुख्यमंत्रियों के संवाद में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री बेहद मुखर थे. कांग्रेस के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, अशोक गहलौत, भूपेश बघेल, और सहयोगी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और हेमंत सोरेन ने राज्यों के अधिकारों और आर्थिक हिस्सेदारी को लेकर केंद्र के सामने खुलकर अपनी बात रखी. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार से राज्य के लिए ज्यादा वित्तीय सहायता का अनुरोध किया.

दरअसल बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री जहां अपनी ही केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुशासन की सीमाओं में बंधे हैं, वहीं गैर एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री कोरोना विरोधी जंग में खुद भी धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं और साथ साथ वह केंद्र सरकार पर भी अपने माकूल निर्णय लेने का दबाव बना रहे हैं.

गैर बीजेपी पार्टियों के इन मुख्यमंत्रियों ने जिस तरह केंद्र की घोषणा से पहले ही अप्रैल के आखिर तक अपने अपने राज्यों में लॉकडाउन बढ़ाकर केंद्र पर लॉकडाउन आगे बढ़ाने का दबाव बढ़ाया उसका नतीजा था कि प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में लगभग सभी मुख्यमंत्री लॉकडाउन बढ़ाने के पक्ष में दिखे.

कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, कैप्टन अमरिंदर सिंह और वी नारायणसामी सीधे मीडिया के सामने आकर न सिर्फ कोरोना के खिलाफ अपनी सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दे रहे हैं, बल्कि इस लड़ाई में केंद्र सरकार की कमियों की तरफ भी इशारा कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो यहां तक कह चुके हैं कि केंद्र सरकार देर से जागी इसलिए कोरोना का संकट देश में बढ़ गया.

मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी कहा था कि राहुल गांधी ने 12 फरवरी से ही सरकार को सावधान किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिराने के लिए लॉकडाउन 24 मार्च को घोषित किया जब 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गए. उन्होंने कहा था

कि मध्य प्रदेश में सत्ता की भूख के चलते आज देश कोरोना के खतरनाक दौर में चला गया है. मध्य प्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जहां इस विकट घड़ी में भी स्वास्थ्य मंत्री नहीं है. इसीलिए वायरस से निपटने की दिशा में सार्थक कदम नहीं उठाए गए, जिसके चलते हालत ऐसी हुई है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here