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हिमाचल सरकार ने लिया फैसला अब सरकारी बैंकों में जमा होगा विभागों का 70 प्रतिशत पैसा…

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हिमाचल प्रदेश में अब सरकारी बैंकों में ही सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों जैसे निगमों, बोर्डों आदि का 70 फीसदी पैसा जमा होगा। विश्वसनीय निजी बैंकों में केवल 30 फीसदी पैसा ही जमा करवाया जा सकेगा। ऐसा कोरोना वायरस से आए आर्थिक संकट के बीच लीकेज रोकने के लिए किया गया है। प

बार इस तरह के निर्देश जारी हुए हैं। इससे यस बैंक की तर्ज पर कोई बैंक दिवालिया होता है तो भी उसमें पैसा डूबने की स्थिति ज्यादा नहीं होगी। विशेष सचिव वित्त राजेश शर्मा ने इस बारे में आदेश जारी किए हैं। वित्त विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों, सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, एजेंसियों के प्रबंध निदेशकों, सभी उपायुक्तों, सभी बोर्डों, विश्वविद्यालयों के सचिवों और पंजीयकों को निर्देश जारी किए हैं।

इन निर्देशों के अनुसार यह पाया गया है कि वर्तमान में राज्य में विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, बोर्ड और राज्य सरकार की एजेंसियां अपना सारा या आंशिक सरप्लस फंड एफडी और बचत खातों में जमा करती रहती हैं। अच्छी ब्याज दरों के लोभ में ज्यादा पैसा निजी बैंकों में जमा किया जाता है। अब उपलब्ध निवेश योग्य फंड का 70 फीसदी राष्ट्रीयकृत बैंकों, अधिसूचित वाणिज्यिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और अधिसूचित राज्य सहकारी बैंकों में प्रतिस्पर्धात्मक ब्याज दरों पर जमा किया जाएगा।

यह ए श्रेणी के बैंक होंगे। हालांकि, इसमें साफ किया गया है कि राज्य के अधिसूचित सहकारी बैंकों में केवल 10 प्रतिशत पैसा ही जमा होगा और यह सरप्लस फंड का ही 10 फीसदी पैसा होगा। उपलब्ध पैसे में से 20 प्रतिशत अधिसूचित वाणिज्यिक निजी क्षेत्र के बैंकों में प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर जमा होगा।

अधिसूचित वाणिज्यिक निजी क्षेत्र के बैंकों को जो कि बी श्रेणी में शामिल नहीं हैं, जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं और भारत सरकार से निगमित बैंकों से अलग हैं, जो सी श्रेणी में हैं, उनमें जमा होगा। लेकिन इसमें भी यह स्पष्ट किया गया है कि कुल सरप्लस पैसे का पांच फीसदी से अधिक पैसा इनमें जमा नहीं होगा। यह भी ध्यान रखना होगा की ब्याज की दरों को भी स्पर्धात्मक तरीके से तय करना होगा। एक करोड़ से अधिक पैसे के लिए ब्याज दरों को लेकर निविदाएं मंगवानी होंगी।

एक करोड़ रुपये से कम पैसे पर यह शर्त लागू नहीं होगी। अगर रथाष्ट्रीयकृत बैंकों ने भी निजी बैंकों की श्रेणी में जमा किए जा रहे पैसे पर अधिक ब्याज दरें देने की निविदा लगाई हैं तो पैसा राष्ट्रीयकृत बैंकों या सहकारी बैंकों में ही निवेश किया जाएगा। इसी तरह से अगर सी श्रेणी के लिए तय दस प्रतिशत से ज्यादा ब्याज दरें बी श्रेणी के बैंक देने को तैयार हैं तो यह पैसा भी बी श्रेणी के बैंकों में ही जमा किया जाएगा। राष्ट्रीयकृत योजनाओं के लिए भी बैंक खाते केवल राष्ट्रीयकृत बैंकों में ही खोले जाएंगे।

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