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कैसे रखें वरूथिनी एकादशी का व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त भी जान लें…

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व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि , पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं. इसमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. ये व्रत अनंत फलदायी है, पुण्य देने वाला है, पापों से मुक्ति दिलाने वाला है. वरुथिनी एकादशी का व्रत करने वाले भक्त पर नारायण की विशेष कृपा बरसती है और व्यक्ति को समृद्धि और सौभाग्य मिलता है.

इस दिन भगवान के मधुसूदन स्वरूप की उपासना की जाती है. आइए आपको बताते हैं कि वरुथिनी एकादशी इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों है? वरुथिनी एकादशी पर भगवान की पूजा कैसे करें?

एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. साफ-सुथरे कपड़ें पहनें और जल पुष्क साथ व्रत का संकल्प लें. तकरीबन साढ़े 7 बजे से 9 बजे के बीच मध्य पूजा करें. पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें. भगवान की मूर्ति का गंगाजल से अभिषेक करें. अब उनको पीले फूल, अक्षत्, धूप, चंदन, रोली, दीप, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें. श्रीहरि को पीले मिष्ठान, चने की दाल और गुड़ का भोग प्रिय है.

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत का प्रारंभ 17 अप्रैल 2020 दिन शुक्रवार शाम 08 बजकर 03 मिनट पर हो रहा है, जो 18 अप्रैल 2020 दिन शनिवार को रात 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा. ऐसे में वरूथिनी एकादशी का व्रत शनिवार को रखा जाएगा.

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