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इंदौर में 11 डॉक्टर-नर्स संक्रमित, फिर भी 150 डॉक्टर रोज 16 घंटे काम कर रहे…

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इंदौर में कोरोना के 1085 मरीज मिल चुके हैं। तीन कैटेगरी के अस्पतालों में डॉक्टर संक्रमण के खतरे के बीच इनका इलाज कर रहे हैं। फिर भी जज्बा ऐसा कि कई डॉक्टरों ने तो मरीजों का इलाज करने की खातिर घर ही छोड़ दिया। कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अग्रिम माेर्चे के ये सिपाही किस तरह संघर्ष कर रहे हैं, यह अनुभव करने के लिए भास्कर फोटो जर्नलिस्ट ओपी सोनी ने कुछ डॉक्टरों के साथ सुबह से रात तक एक दिन बिताया।

ये हैं अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में एनेस्थेसिया एचओडी डॉ. साधना संवत्सरकर। कोरोना के मरीजों के लिए घर छोड़ कॉलेज के हॉस्टल में रह रही हैं

वे सुबह सात बजे ही कोरोना आईसीयू का राउंड लेने निकल जाती हैं। वहां मरीजों को देखने के बाद उनकी स्थिति को लेकर अन्य डॉक्टरों से चर्चा करती हैं। सवा आठ बजे तक राउंड लेकर हॉस्टल लौट जाती हैं। नहाकर ब्रेकफास्ट करती हैं। फिर कॉलेज निकल जाती हैं

वे रात साढ़े नौ बजे फिर से कोरोना आईसीयू का राउंड लेती हैं। एक घंटे वहां रहकर मरीजों की जानकारी लेती हैं। उनके विभाग के एक-एक पीजी डॉक्टर की ड्यूटी भी आईसीयू में लगाई जाती है, जो दिनभर मरीज का अपडेट उन्हें देते हैं।

डॉ. साधना हॉस्टल में लौटने के बाद अपनी डेंटिस्ट बेटी गौरी को वीडियो कॉल करती हैं। वे दिन में दो बार उससे बात करती हैं। बेटी ने ही हॉस्टल में रहने के लिए उनका हौसला बढ़ाया था।
39 डिग्री में पीपीई किट में रहना, मरीज की हर सांस के लिए लड़ना
शहर में कोरोना के सबसे ज्यादा करीब 425 मरीज अरबिंदो अस्पताल में भर्ती हैं। इनका इलाज लगभग 400 डॉक्टर कर रहे हैं। इनमें से रोज 15-20 की ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगाई जाती है।

मरीजों का इलाज करने वाली टीम का नेतृत्व रेस्पिरेटरी मेडिसिन एचओडी डॉ. रवि डोसी कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद से ही डॉ. डोसी घर छोड़कर कैंपस में बने हॉस्टल में शिफ्ट हो गए हैं। घर में माता-पिता, डॉक्टर पत्नी और दो बच्चे हैं। डॉ. डोसी होस्टल में आए तो परिजन ने कुछ नहीं कहा, पर मरीज बढ़ने लगे तो उन्हें संक्रमण का डर होने लगा। वे डॉ. डोसी से फोन पर कहते हैं कि घर आ जाओ। डॉ.डोसी हर बार मना कर देते हैं। यहां डॉ. डोसी की दिनचर्या सुबह आठ बजे से शुरू होती है।

अरबिंदो अस्पताल के जिस आईसीयू में कोरोना के संक्रमित मरीजों को रखा गया है, वहां डॉ. डोसी को रोज राउंड लेना होता है। यूनिट के अन्य कंसल्टेंट की ड्यूूटी रोस्टर के हिसाब से लगाई जाती है। उन्हें सात दिन में एक दिन वार्ड का राउंड लेना होता है। डॉक्टरों की टीम पीपीई किट पहनकर आईसीयू में जाती है, जबकि वहां एसी तक बंद रहता है। वहीं इन दिनों गर्मी बढ़ रही है। शुक्रवार को ही तापमान करीब 39 डिग्री था।

अस्पताल में मेडिसिन, एनेस्थीसिया और अन्य विभागों के डॉक्टर भी कोराेना के मरीजों के इलाज में जुटे हैं। रोज शाम को विभाग के कंसल्टेंट की ऑनलाइन मीटिंग होती है। मरीजों के स्टेटस और रिपोर्ट पर चर्चा करते हैं। डॉ. डोसी कभी-कभी सुबह से शाम तक तीन बार राउंड लेते हैं।

आईसीयू से बाहर आने के बाद डॉ. डोसी खुद को सैनिटाइज करते हैं। पीपीई किट उतारकर दोबारा नहाते हैं। इसके बाद मेडिकल कॉलेज भी जाते हैंसुबह से शाम तक अस्पताल और कॉलेज के बीच की भागदौड़ के बाद डॉ. डोसी होस्टल लौटते हैं। यहां भोजन के बाद परिजन से बात करते हैं। उनके माता और पिता भी मेडिकल प्रोफेशनल हैं।

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