भोपाल. कोरोना से जंग के बीच एम्स से उम्मीद बढ़ाने वाली खबर आई है। आईसीएमआर व अमेरिका के फूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की अनुमति से देश की सबसे बड़ी रिसर्च एजेंसी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की देखरेख में चल रहे क्लिनिक ट्रायल के शुरुआती परिणाम आशाजनक मिले हैं। जिन दो गंभीर मरीजों वेंटिलेटर की जरूरत थी
उन पर इम्युनिटी मॉड्यूलेटर दवा माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू (एम-डब्ल्यू) का प्रयोग किया गया। उन्हें एक सप्ताह में दवाई के तीन डोज दिए गए। दोनों मरीज आईसीयू से बाहर आ गए है।
पूरी तरह खतरे से बाहर हैं। अन्य मरीजों पर अर्ली ऑक्सीजन थैरेपी असर दिखा रही है। इससे भोपाल का रिकवरी रेट 57 फीसदी हो गया है। एम्स के डायरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि दवा ने दोनों मरीजों के ठीक होने में कितना योगदान दिया है, इसका मूल्यांकन 58 दिन बाद ही हो सकेगा।
देश की सबसे बड़ी रिसर्च एजेंसी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की देखरेख में एक सप्ताह पहले ही क्लिनिक ट्रायल शुरू किया गया था।
दो गंभीर मरीज जिन्हें वेंटिलेटर पर रखने की आवश्यकता महसूस हो रही थी, उन्हें दवाई के तीन डोज दिए गए। खुशी की बात ये है कि दोनों ही मरीजों की तबियत में तेजी से सुधार के बाद उन्हें आईसीयू से बाहर निकालकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। जहां दोनों मरीजों की हालत क्लीनिकली स्थिर हो गई है। किसी भी मरीज पर दवा का कोई भी साइड इफैक्ट भी सामने नहीं आया है।