शनि जब वक्री होते हैं तो अच्छे फल नहीं देते हैं. शनि परेशानियां बढ़ा देते हैं. यहां तक की शनि बहुत अशुभ हो जाएं तो व्यक्ति के जीवन में संकटों की लाइन भी लगा देते हैं. शनि की अशुभ होते हैं तो व्यक्ति के कोई काम नहीं बनते हैं. रोग देते हैं. आर्थिक रूप बर्बाद कर देते हैं. व्यापार चौपट कर देते हैं यहां तक संबंधों को भी तोड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं. शादी विवाह में देरी भी कराते हैं. इसलिए लिए शनि ग्रह को प्रसन्न करना बहुत जरूरी है.
11 मई से शनि वक्री हो रहे हैं. मकर, कुंभ और धनु राशि पर इस समय साढ़ेसाती और मिथुन- तुला राशि पर ढैय्या चल रही है. लेकिन इसके अतिरिक्त मेष, वृष, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक और मीन राशि वालों को भी इस दौरान सर्तकता बरतने की जरुरत है.
मेष, वृष, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक और मीन राशि पर शनि का न तो साढ़ेसाती है और न हीं ढैय्या लेकिन शनि अगर जन्म कुंडली में अशुभ हैं तो शनि वक्री होने पर अशुभ फल दे सकते हैं. इसलिए इन राशि के जातकों को 11 मई से पहले अधूरे कामों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए. नहीं तो शनि इसमें बाधा पैदा कर सकते हैं.
शनि एक न्यायप्रिय ग्रह हैं. शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर ही फल प्रदान करते हैं. इसलिए गलत कामों से बचना चाहिए. शनि देव ऐसे लोगों से बहुत प्रसन्न रहते हैं जो दरिद्र नारायण की सेवा करते हैं. गरीबों को दान करते हैं. छोटे कर्मचारियों का सम्मान करते हैं. इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
लोगों की सेवा करने से भी शनि प्रसन्न होते हैं. शनिवार के दिन तेल का दान भी शनि की अशुभता को कम करता है. हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि प्रसन्न होते हैं.