भारत सरकार का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवादित इलाकों को लेकर ‘अपुष्ट तथा बढ़ा-चढ़ाकर दावे किया जाना’ भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 6 जून को हुई बैठक में बनी सहमति के विरुद्ध है. सोमवार रात को दोनों देशों की सेनाओं के बीच लद्दाख की गालवान घाटी में हिंसक ड़प हुई थी, जिसमें दोनों ही पक्षों को जानी नुकसान हुआ.
भारत के विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को फोन पर अपने चीनी समकक्ष से बात करते हुए कहा कि चीनी सैनिकों ने “सोचे-समझे तरीके से योजना बनाकर कार्रवाई” की, जिसका सीधा परिणाम गालवान घाटी में सोमवार को हुई झड़प रहा, जिसमें 20 भारतीय जवानों ने जान गंवाई.
बुधवार को ही चीन के विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग के दौरान चीनी कमांडर के गालवान घाटी को लेकर किए गए दावे को पढ़ा गया, जिस पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “जैसा हमने आज ही (बुधवार को) पहले भी कहा, विदेशमंत्री तथा चीन के विदेशमंत्री व स्टेट काउंसिलर के बीच लदद्दाख में हालिया घटनाओं को लेकर फोन पर बातचीत हुई.
दोनों पक्ष पूरे हालात को ज़िम्मेदाराना तरीके से संभाले जाने पर सहमत हुए, तथा यह भी सहमति बनी कि 6 जून को वरिष्ठ कमांडरों के बीच बनी सहमति को गंभीरता से लागू किया जाए… बढ़ा-चढ़ाकर और अपुष्ट दावे करना इस सहमति के विरुद्ध हैं…”
पान्गोंग त्सो तथा पूर्वी लद्दाख के कुछ अन्य इलाकों में टकराव को खत्म करने के लिए 6 जून को की गई लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय वार्ता में भारत ने यथास्थिति बनाए रखने पर ज़ोर दिया, और इन सभी क्षेत्रों (जहां-जहां टकराव की स्थिति बन रही थी) से बहुत अधिक चीनी सैनिकों को तुरंत हटाए जाने पर ज़ोर दिया था.
15 जून को जब एक छोटा भारतीय गश्ती दल 15,000 फुट की ऊंचाई पर गालवान नदी घाटी से एक चीनी टेन्ट को हटाने के लिए बढ़ा, तो शारीरिक झड़प शुरू हो गई, जब चीनी सैनिकों ने भारतीय कर्नल बी.एल. संतोष बाबू को निशाना बनाया. दोनों पक्ष डंडों और कील-लगी छड़ों से लैस थे. 6 जून की बातचीत के बाद चीन इस टेन्ट को हटाने पर सहमत हुआ था. सेना के सूत्रों ने को बताया कि उन्हें यकीन है कि लगभग 45 चीनी सैनिक इस घटना में हताहत हुए हैं.
फिलहाल, भारतीय जवानों को हथियारबंद होने पर भी सख्त निर्देश है कि वे चीन के साथ झड़प होने पर भी गोलीबारी की शुरुआत नहीं करें. सूत्रों ने NDTV को बताया है कि भारतीय जवानों के लिए झड़पों को लेकर तय किए गए नियमों में ताज़ातरीन घटना के बाद बदलाव कर उन्हें अधिक मज़बूत बनाया जाना ज़रूरी हो गया है. सेना के शीर्ष नेतृत्व द्वारा इस विषय में अंतिम फैसला फिलहाल नहीं लिया गया है.