प्रदेश के 22.81 लाख किसान बैंकों का कर्ज नहीं चुका रहे हैं। इससे इन पर डिफॉल्टर होने और अगले सीजन में कृषि लोन नहीं मिलने का खतरा बढ़ गया है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इसका ब्योरा रखेगी। इसके बाद आगे की कार्यवाही तय होगी।
दरअसल, इन किसानों पर कुल 15 हजार करोड़ रु. का कर्ज है। ज्यादातर ने 50 हजार से लेकर 2 लाख रु. तक का कर्ज ले रखा है। पिछली कांग्रेस सरकार के समय 45.81 लाख किसानों का 23 हजार करोड़ रु. का कर्ज माफ करने की योजना शुरू हुई थी।
10 मार्च तक की स्थिति में 23 लाख किसानों का 8 हजार करोड़ रु. का कर्ज माफ भी हो चुका है। लेकिन, शेष बचे 22.81 लाख किसान अभी भी कर्जमाफी के इंतजार में हैं। इसलिए वे कर्ज नहीं चुका रहे। इस कारण एक साल में कृषि खातों में नॉन परफाॅर्मिंग एसेट (एनपीए) करीब 24% बढ़ गया है। एनपीए बढ़ने से बैंक भी दबाव में हैं। लिहाजा बैंकर्स समिति ने तय किया है कि वह मुख्यमंत्री के सामने कर्जमाफी का पूरा ब्याेरा रखेंगे।
एसएलबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्जमाफी से कृषि क्षेत्र में नए कर्ज की वृद्धि दर नकारात्मक हो गई है। 31 मार्च तक बैंकों के एनुअल क्रेडिट प्लान में 1.23 लाख करोड़ के कर्ज बांटने का लक्ष्य था, लेकिन वे 65 हजार करोड़ रु. ही कर्ज बांट सके। पिछली सरकार ने किसानों के 50 हजार तक के कर्ज वाले स्टैंडर्ड खातों और 2 लाख तक कर्ज वाले एनपीए खातों को कर्जमाफी के पहले चरण में शामिल किया था। बैंकों ने इनकी सूची सभी कलेक्टर्स को दी थी,
लेकिन सरकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से कर्ज लेने वाले किसानों के खातों में पैसा नहीं आया।राष्ट्रीयकृत और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को कर्जमाफी के पहले चरण का ही पैसा सरकार ने नहीं दिया?
हमारी प्राथमिकता सहकारी बैंक थी, लेकिन पहले चरण में 50 हजार रुपए तक के कर्ज वाल स्टैंडर्ड खातों और 2 लाख रुपए तक के एनपीए खातों में सेटलमेंट के अनुसार पैसा डाला है।
पिछली सरकार ने कुल कितने किसानों की कर्जमाफी की?
पहले चरण में 21 लाख किसानों के 6,000 करोड़ के कर्ज माफ किए। दूसरे में 50 हजार से 1 लाख रुपए तक के स्टैंडर्ड खातों वाले 7 लाख किसानों के कर्ज माफ करने वाले थे, लेकिन 2 लाख किसानों के ही कर्ज माफ कर पाए