जब चीन की ओर से भारत कोई खतरा होता है तो ये सवाल हमेशा उठता है कि क्या मौका पड़ने पर अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा. क्योंकि चीन इस समय पूरी दुनिया में अमेरिका की प्रभुता को चुनौती देने को आमादा है. दूसरी ओर एशिया में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोकने के लिए भारत भी तैयार है. लेकिन इतिहास में अमेरिका के भारत के प्रति व्यवहार को एक तरफ रख दिया जाए तो भी इस बार अमेरिका की ओर से अब तक आए बयान भारत के लिए कोई उत्साहजनक नहीं है
गालवान घाटी में हुई झड़प के बाद भी अमेरिका की ओर से बयान के मतलब भी ‘देखेंगे जैसे’ थे. लेकिन गुरुवार को अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की ओर से आए बयान भारत को थोड़ा खुश कर सकते हैं. लेकिन क्या इस बयान का ये मतलब निकाला जाए कि क्या चीन के साथ युद्ध की स्थिति में अमेरिका भारत के साथ सीधे मैदान में उतर जाएगा.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने गुरुवार को कहा कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से खतरा बढ़ रहा है. इसको देखते हुए अब अमेरिका अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वे जरुरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) का मुकाबला कर सकें.
पोम्पिओ ने जर्मन मार्शल फंड के वर्चुअल ब्रसेल्स फोरम 2020 में एक सवाल के जवाब में यह कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला किया जा सके.उन्होने कहा कि हमें लगता है कि यह हमारे समय की यह चुनौती है और हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है और इसी योजना के तहत अमेरिका, जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटा कर 25 हजार कर रहा है.
इसके साथ ही अमरिका के विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले हफ्ते चीन के विदेश मंत्री से बातचीत की थी जिसमें उन्होंने कई मोर्चे पर चीन के आक्रामक रवैये को लेकर बातचीत की थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर और पारदर्शिता बरतने के लिए कहा गया है.
उधर एक अहम घटनाक्रम के तहत चीन को करारा झटका देते हुए अमेरिकी सीनेट ने हांगकांग की सम्प्रभुता की रक्षा के लिए सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया है. इसके तहत उन बैंकों पर भी प्रतिबंध लगेगा जो कानून का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के साथ व्यापार करते पाए गए. चीन द्वारा प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार करने और पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी पर और नियंत्रण लगाने जैसी हरकतों के चलते पिछले एक साल से लगातार हांगकांग में बढ़ रहे तनाव के बीच यह कदम उठाया गया है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने चीन को चेतावनी दी कि उनका देश चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कदमों से पैदा होने वाले खतरों को लेकर सचेत हो गया है और वह उसकी विचारधारा के प्रसार पर लगाम लगाने के लिए कार्रवाई करेगा.
रॉबर्ट ओ”ब्रायन ने कहा कि उनके बाद आने वाले कुछ सप्ताह में विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ, अटॉर्नी जनरल विलियम बर और एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे सहित अमेरिकी प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी भी चीन को चेतावनी देंगे. फीनिक्स में उद्योगपतियों के एक समूह को संबोधित करते हुए ब्रायन ने कहा, ‘चीन के लिए अमेरिका की सहनशीलता और भोलेपन के दिन खत्म हो गए हैं.’