हिमाचल में बसों में अब 100 फीसदी सवारियां बैठाने को कैबिनेटने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। कैबिनेट बैठक में परिवहन निगम और निजी बस ऑपरेटरों की वास्तविक स्थिति पर प्रस्तुति के बाद सरकार ने यह मंजूरी दी है। निजी बस ऑपरेटरों को 20 लाख रुपये तक कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल लोन) देने पर भी सहमति बनी। लोन का 50 फीसदी ब्याज सरकार वहन करेगी। पहले साल निजी ऑपरेटरों को कोई ब्याज नहीं देना होगा।
दूसरे साल 50 फीसदी और तीसरी और चौथे साल पूरा ब्याज देना होगा। प्रति बस दो लाख तक लोन लिया जा सकेगा। अब विस्तृत प्रस्ताव को कैबिनेट या फिर सरकार के पास लाया जाना है। एक जुलाई से इस व्यवस्था को लागू किया जा सकता है। सूबे में निजी बस ऑपरेटर किराया बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इनका तर्क है कि बसों में 60 फीसदी सवारियां बैठाने से न तो गाड़ी की मरम्मत का खर्च निकलेगा और न चालक-परिचालकों की तनख्वाह दे सकेंगे। ऐसे में सरकार ने बसों की मेंटेनेंस और अन्य खर्चों के लिए लोन देने का फैसला किया है।
सितंबर तक नहीं लगेगा ग्रीन सेस और फिटनेस फीस
कैबिनेट ने वाहन मालिकों को ग्रीन सेस और फिटनेस फीस सितंबर तक माफ करने का फैसला लिया है। वाहन मालिकों से यह फीस 800 से 1000 रुपये तक ली जाती है। वाहनों की पासिंग को अब पेंट कराने की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ मेकेनिक पार्ट्स ठीक होने चाहिए। सरकार ने छोटे-बड़े वाहनों पर टैक्स पर लगाई जाने वाली पेनल्टी भी माफ कर दी है।
अब 100 फीसदी लगेगी कंपोजिट फीस
बाहरी राज्यों से सवारियां लेकर हिमाचल आने वाली छोटी-बड़ी बसों से सरकार 100 फीस कंपोजिट फीस लेगी। पहले एक महीने हिमाचल आने पर ऑपरेटरों से 15 दिन तक की कपोजिट फीस ली जाती थी।
हिमाचल में वाहन शुल्क हुआ महंगा
सरकार ने हिमाचल में वाहन पंजीकरण शुल्क महंगा कर दिया है। पहले यह शुल्क ढाई से 4 फीसदी तक लिया जाता था। अब इसे बढ़ाकर 7 से 10 फीसदी किया है। 50 हजार तक मोटरसाइकल पर 7 फीसदी, 50 हजार से 2 लाख तक 8 फीसदी, दो लाख व इससे ज्यादा तक 10 फीसदी पंजीकरण शुल्क लगेगा। कार पर शुल्क 8 से 10 फीसदी किया है। बसों में भी 10 फीसदी तक शुल्क वसूल किया जाएगा।