Home हिमाचल प्रदेश कोरोना संकट से हिमाचल में घट जाएगा विकास का बजट….

कोरोना संकट से हिमाचल में घट जाएगा विकास का बजट….

5
0
SHARE

कोरोना संकट के बीच हिमाचल में विकास का बजट घट जाएगा। यही हालात रहे तो आने वाले समय में कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन जारी करने में भी दिक्कत आएगी। सरकार के शीर्ष अधिकारी वित्तीय प्रबंधन के लिए माथापच्ची में जुट गए हैं। सीएम जयराम ठाकुर ने अपने तीसरे बजट में नया प्रयोग किया था। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के इस बजट में उन्होंने कर्मचारियों, पेंशनरों, ब्याज अदायगी, ऋण अदायगी आदि पर खर्च होने वाले बजट को घटा दिया था।

इस बार विकास पर खर्च किए जाने वाले बजट को बढ़ा दिया था। ऐसा सीएम इसलिए कर पाए थे कि उनके सामने पिछले बजट की तरह इस बार कोई बड़ी चुनावी चुनौती नहीं थी। हालांकि, इस साल के अंत में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव जरूर प्रस्तावित हैं। दूसरी ओर राजस्व घाटे की पूर्ति को भी पंद्रहवें वित्तायोग से इस बार अच्छी ग्रांट मिली है। इससे राजस्व घाटे को भी आश्चर्यजनक तरीके से कम किया गया है।

इस साल के बजट की पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट से तुलना करें तो 100 रुपये अगर कुल बजट माना जाए तो कर्मचारियों के वेतन का खर्च 27.84 रुपये था, मगर इस बार के बजट अनुमानों में इसे घटाकर 26.66 रुपये किया गया। पेंशन पर पिछला खर्च 15 रुपये था, यह घटकर 14.79 रुपये कर दिया गया।

ब्याज अदायगी 10.25 रुपये थी जो 10.04 रुपये कर दी गई। ऋण अदायगी पर खर्च 7.35 रुपये से घटाकर 7.29 रुपये कर दिया गया। विकास कार्यों का बजट पहले 39.56 रुपये था, इसे बढ़ाकर 41.22 रुपये किया गया। पर सरकार ने या किसी ने भी यह सोचा नहीं था कि राज्य सरकार का सारा प्लान चौपट हो जाएगा

प्रदेश का इस बार का कुल बजट करीब 49 हजार करोड़ रुपये का है। कोरोना वायरस के चलते प्रदेश को अब तक करीब 18 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। बजट व्यय में कर्मचारियों और पेंशनरों के बजट में सरकार चाहकर भी कटौती नहीं कर सकती है। आधे कार्यकाल का निर्बाध संचालन कर चुकी जयराम सरकार भी तमाम सरकारों की तरह कर्मचारियों-पेंशनरों को नाराज कर ढाई साल के बाद के मिशन रिपीट में आंच नहीं आने देना चाहेगी। ऐसे में उपाय एक ही होगा कि विकास का बजट घटाकर ही कर्मचारियों-पेंशनरों के खर्चे पूरे किए जाएं।

सड़कों की मरम्मत तक के लिए जारी नहीं हो रहा बजट
विकेंद्रीयकृत प्लान के तहत ग्रामीण संपर्क सड़कों की मरम्मत तक के लिए भी उपायुक्तों ने बजट जारी करना बंद कर दिया है। अन्य मदों में भी यही स्थिति होने वाली है। सरकार पर पहले से ही करीब 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। कर्ज एक निश्चित सीमा तक ही लिया जा सकता है। केंद्र से भी इस संकट में माकूल मदद की आशा कम है। ऐसे में अधिकारीगण वित्तीय प्रबंधन के चिंतन में जुटे हैं।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here