Home Uncategorized CM का पीएसओ बन महिला अधिकारी को धमकाया…

CM का पीएसओ बन महिला अधिकारी को धमकाया…

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का सचिवालय का कार्यालय एक बार फिर विवादों में हैं। सचिवालय में कार्यरत एक महिला अधिकारी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात एक निजी सचिव, निजी सहायक और एक सुरक्षा कर्मी ने उन्हें करूणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरी के लिए एक आवेदन को प्राथमिकता देने का दबाव बनाया है।

शिकायत में महिला अधिकारी ने यह भी आरोप लगाया है कि दबाव बनाने वाले लोगों में न तो मास्क पहना हुआ था और न ही सचिवालय में उचित दूरी का ध्यान रखा। मास्क पहनने और विभागीय सचिव के आदेश पर ही फाइल आगे बढ़ाने की बात कहने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी है। महिला अधिकारी ने मांग की है कि दुर्व्यवहार करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

आईपीएच विभाग के सेक्शन ए की सेक्शन अधिकारी नीलम चौहान की शिकायत के अनुसार पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री का पीएसओ बताकर एक व्यक्ति दो लोगों के साथ बिना मास्क लगाए कार्यालय में दाखिल हुआ और करुणामूलक आधार पर नौकरी देने के एक आवेदन के संबंध में बात करने लगा। नीलम ने जब सुरक्षा कर्मी को मास्क लगाने के लिए बोला तो वह नाराज हो गया। इसके कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री के निजी सचिव कौर सिंह और रमन कुमार ने फोन कर उन्हें दबाव बनाने वालों को संबंधित फाइल दिखाने के लिए कहना शुरू कर दिया।

नीलम ने जब सचिव आईपीएच से अनुमति के बिना फाइल न दिखाने की बात कही तो उन्होंने कार्रवाई की बात कह दी। उधर, सचिवालय की महिला अधिकारी से दुर्व्यवहार की जानकारी के बाद मंगलवार को हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा के नेतृत्व में कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी मुख्य सचिव से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की है। शर्मा ने कहा कि मुख्य सचिव ने मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। बता दें, स्वास्थ्य विभाग में हुए पांच लाख घूस मांगने के वायरल ऑडियो कांड के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात दो कर्मचारियों को हटा दिया गया था।

क्लर्क से प्रमोशन की शर्तों में बदलाव की भी उठाई मांग
मुलाकात के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मांग की कि क्लर्क से सीनियर असिस्टेंट बनने के लिए निर्धारित दस साल के सेवाकाल की शर्त में भी बदलाव किया जाए। उन्होंने कहा कि पहले अनुबंध नहीं होता था लेकिन अब अगर दस साल के सेवाकाल की शर्त की वजह से प्रमोशन के लिए तेरह साल का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में इसे घटाकर सात साल कर दिया जाए ताकि कर्मचारी दस साल में सीनियर असिस्टेंट बन जाए।

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