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चीन के साथ तनाव को विदेश सचिव ने बताया ‘अप्रत्याशित’, कहा- 1962 के बाद कभी ऐसी स्थिति नहीं आई….

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पूर्वी लद्दाख में जहां एक तरफ सीमा विवादों के चलते मई की शुरुआत से ही कई दौर की बातचीत के बावजूद तनाव चरम पर है तो वहीं दोनों देशों की सेना एलएसी पर एक दूसरे आमने-सामने खड़ी है। विदेश सचिव हर्ष वी. श्रृंगला ने इस स्थिति को ‘अप्रत्याशित’ स्थिति करार दिया है। विदेश सचिव ने कहा, यह एक अप्रत्याशित स्थिति है। 1962 के बाद से हमारी कभी ऐसी स्थिति नहीं रही। पहली बार हमने अपने जवानों को खोया है। पिछले 40 वर्षों के दौरान कभी भी जवानों की जान नहीं गई।

विदेश सचिव ने इंडियन काउंसिल फॉर वर्ल्ड अफेयर्स (आईसीडब्ल्यूए) वेबिनार के दौरान कहा, “जब हम एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) की बात करते हैं तो अगर वह हमारे राष्ट्र हित में होता है तो हम उसके साथ आगे बढ़ते है। लेकिन, ऐसा लगता है कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) हमारे हित में नहीं है।” श्रृंगला ने कहा, हमारे एक पड़ोसियों में से ही एक सार्क (साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन) में सभी सकारात्मक गतिविधियों को रोकने में संलिप्त है।

एक दिन पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने गुरुवार को भारत-चीन विवादों को लेकर साफतौर पर कहा कि सीमा पर जो कुछ होता है उसका दोनों देशों के रिश्तों पर असर पड़ेगा। एक किताब के विमोचन के मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “दोनों देशों के लिए एक समझौते पर पहुंचना महत्वपूर्ण है, यह केवल उनके लिए अहम नहीं है बल्कि दुनिया के लिए भी यह मायने रखता है।” भारत चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्री ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि कूटनीति के दायरे में समाधान निकालना होगा।

इधर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने चीन के साथ तनाव के बीच कहा है कि भारतीय सशस्त्र बलों को फौरी संकट से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए और साथ ही भविष्य के लिए भी तैयारी करनी चाहिए। चीन के साथ पाकिस्तान के भी मोर्चा खोलने की संभावना जताते हुए रावत ने कहा कि भारत को उत्तरी और पश्चिमी मोर्चों पर एक साथ कार्रवाई का खतरा है।

उन्होंने दोनों पड़ोसियों से साथ निपटने की भारतीय सेना की क्षमता का जिक्र करते हुए कहा कि यदि पाकिस्तान ने मौके का फायदा उठाकर दुस्साहस करने की कोशिश की तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। यूएस-इंडिया स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप फोरम के एक कार्यक्रम में रावत ने कहा कि हमने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर उभरते खतरों से निपटने की रणनीति तैयार कर ली है।

दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में जून के मध्य में हिसंक झड़प हो गई थी, जिसके बाद से माहौल और तनावपूर्ण हो गया था। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे तो वहीं, चीन के कई सैनिक मारे गए थे। हालांकि, इसके बाद फिर से दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति सामने आई थी, जब पिछले महीने 29-30 अगस्त और 31 अगस्त की रात चीन ने उकसावेपूर्ण कार्रवाई की थी। इसके बाद, सीमा पर तनाव बढ़ गया था।

वहीं, भारत ने सीमा को सुरक्षित करने के लिए अपनी पोजीशन बदली है। इस मामले की की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने कहा कि चुशुल सेक्टर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की घुसपैठ की कोशिश के बाद सैनिकों ने अपने पोजिशन को पहले से और मजबूत कर लिया है।

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