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इन उपायों से घर में आती हैं लक्ष्मी, जानें धनवान बनने के रास्ते..

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कुशल अर्थशास्त्री रहे आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के दम पर एक छोटे से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बना दिया था. चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ यानी चाणक्य नीति में ऐसे उपायों का वर्णन किया है जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति धनवान बन सकता है. आइए जानते हैं चाणक्य की इन नीतियों के बारे में…

खर्च
व्यक्ति को काफी परिश्रम करने के बाद पैसा प्राप्त होता है. ऐसे में हमें पैसे की इज्जत करनी चाहिए, उसे यहां-वहां व्यर्थ ही खर्च नहीं करना चाहिए. सोच समझकर खर्च करने वाला व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है साथ ही उसके पास लंबे समय तक पैसा संचित रहता है. व्यक्ति को धन के महत्व के बारे में जानकारी होना आवश्यक है. इससे सही और गलत खर्च में फर्क करने में आसानी हो जाती है.

सोच
हमें हर दिन सही रास्ते पर चलकर अपनी तिजोरी को भरने के बारे में सोचना चाहिए. अगर हमारी सोच इसमें लगे कि कैसे बिना किसी को नुकसान पहुंचाए धन कमाया जा जाए तो इससे रास्ते खुलते हैं और आगे की राह आसान हो जाती है. बिना सोचे और दिमाग पर जोर डाले किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना खतरे से भरा होता है.

यकीन
मेहनत करना और उस पर यकीन करना, ये दो आदतें हों तो व्यक्ति को धन संबंधी कोई परेशानी नहीं हो सकती. सफलता के लिए परिश्रम अत्यंत आवश्यक है. व्यक्ति को मेहनत शारीरिक और मानसिक, दोनों रूप से करना होता है. जो लोग मेहनत करने से कतराते हैं वो कभी आगे नहीं बढ़ पाते.

संगति
व्यक्ति को बुद्धिमान की संगति में रहना चाहिए. मूर्खों के साथ रहने वाले लोगों की बुद्धि भी धीरे-धीरे उनकी तरह ही होने लगती है. ऐसे में सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है. वहीं ज्ञानी लोगों के साथ रहने से जीवन को सुगम बनाने के कई रास्तों के बारे में पता चलता है. ऐसे लोगों से दोस्ती कर आप धन को बढ़ाने से संबंधित उपाय की जानकारी भी प्राप्त करते हैं.

अध्यात्म
चाणक्य नीति के मुताबिक अध्यात्म जीवन को सही रास्ता दिखाता है. अध्यात्म से जुड़ा व्यक्ति कभी धन के लिए परेशान नहीं होता. उसके जीवन में धन का आगमन होता रहता है. दरिद्रा कभी पास नहीं आती, इसलिए मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है.

सत्य
विषम परिस्थितियों में भी सत्य के रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति कभी निर्धन नहीं होता. कहा जाता है कि सत्य के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति के जीवन में दैवीय कृपा रहती है. दरिद्रता उससे कोसो दूर रहती है. इसीलिए चाणक्य भी धनवान बनने के लिए सत्य को अपनाने की बात करते हैं.

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