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नवरात्रि के पहले दिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर भक्तों ने पूजा-अर्चना की….

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कोरोना महामारी के बीच शनिवार से प्रारंभ हुईं नवरात्रि के पहले ही दिन मैहर में भक्तों की भीड़ लग गई। शाम तक 40 हजार भक्तों ने दर्शन किए, हालांकि पिछले साल यह भीड़ एक लाख से कहीं अधिक थी। प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा स्थित विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा सिद्ध पीठ मां बगलामुखी मंदिर से लेकर देवास में देवी के 52 शक्तिपीठ में से मां चामुंडा, तुलजा दरबार और भोपाल से करीब 70 किमी दूर स्थित सलकनपुर दरबार में भक्त मां के दर्शन करने पहुंचे।

मैहर में अगले एक-दो दिनों अच्छी खासी भीड़ होने की संभावना है। यहां पंचमी एवं अष्टमी को विशेष दिन माना जाता है। श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लाउड स्पीकर एवं सीसीटीवी कैमरों से निगरानी कर मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके काफी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किये गए हैं, ताकि कोविड गाइडलाइन का पालन कराया जा सके। भोपाल से करीब 70 किमी दूर स्थित सलकनपुर दरबार में पहले दिन करीब 5 हजार भक्त दर्शन करने पहुंचे। हालांकि पिछले साल की तुलना में यह काफी कम रही।

शक्तिपीठ नगरी उज्जैन के माता मंदिरों में भी भक्तों का तांता लगा रहा। देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक हरसिद्धि मंदिर में भी भक्तों का उत्साह सुबह से ही देखा गया। माता हरसिद्धि के दर्शन को दूर-दूर से भक्त उज्जैन पहुंचने लगे हैं। भक्तों को इस बार घंटी बजाने, फूल और प्रसाद आदि चढ़ाने पर मनाही है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दूर से ही माता के दर्शन कराए जा रहे हैं। भक्तों का कहना है कि वे तो सिर्फ मां का आशीष लेने आए हैं।

देवी के 52 शक्तिपीठ में से मां चामुंडा, तुलजा दरबार को एक शक्तिपीठ के तौर पर माना जाता है। पहले दिन दो से तीन हजार भक्त पहुंचे। देश के अन्य शक्तिपीठों पर माता के अवयव गिरे थे, लेकिन ऐसा बताया जाता है कि यहां टेकरी पर माता का रुधिर गिरा था। इस कारण मां चामुंडा का प्राकट्य यहां हुआ। चामुंडा को सात माताओं में से एक माना जाता है। तुलजा भवानी की स्थापना मराठा राज परिवारों ने करवाई थी। मराठा राजाओं की यह कुलदेवी मानी जाती हैं। यह दोनों माताएं सगी बहनें हैं। दो हजार साल से भी अधिक समय पूर्व महाराज विक्रमादित्य के भाई भर्तहरि यहां तपस्या कर चुके हैं।

आगर मालवा जिले के नलखेड़ा स्थित विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा सिद्ध पीठ मां बगलामुखी मंदिर में नवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी है। पहले दिन डेढ़ हजार भक्त पहुंचे हैं। महाभारत कालीन यह मंदिर श्मशान में बना है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महा विद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है बगुलामुखी मंदिर। मां भगवती बगुलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। उनमें से एक नलखेड़ा में स्थित है। मान्यता के अनुसार बगुलामुखी का यह मंदिर महाभारत के समय का है। मां बगलामुखी मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है।

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