Home राष्ट्रीय कांग्रेस की सेंट्रल टीम ने संभाली बिहार चुनाव की कमान….

कांग्रेस की सेंट्रल टीम ने संभाली बिहार चुनाव की कमान….

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कांग्रेस पार्टी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव अलग अंदाज में लड़ रही है। केंद्रीय नेतृत्व ने पूरा चुनाव अपने कंट्रोल में ले लिया है। राज्य इकाइयों को तरजीह नहीं दी जा रही है। प्रतिदिन की तैयारी चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के साथ-साथ गठबंधन के सहयोगियों के साथ समन्वय पर दिल्ली से नजर रखी जा रही है और फैसले लिए जा रहे हैं।

इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है जब पार्टी की केंद्रीय इकाई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने किसी राज्य के चुनाव के दौरान चुनाव प्रबंधन और तैयारियों का पूरा प्रभार लिया है।

बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा, “प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) और राज्य के नेताओं ने बैक सीट ले लिया है और एआईसीसी के पदाधिकारी अभियान और मीडिया रणनीति के अलावा चुनाव तैयारियों का प्रबंधन कर रहे हैं।”

कांग्रेस के एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला लगभग बिहार में पार्टी का चेहरा बन गए हैं। पार्टी के चुनाव प्रबंधन से लेकर अभियान की रणनीति तैयार करने और गठबंधन सहयोगियों के साथ समन्वय करने तक, सुरजेवाला ही देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के नेता पूरी तरह से दरकिनार कर दिए गए हैं।

आपको बता दें कि पार्टी उम्मीदवारों के चयन में अनियमितता और राज्य इकाई में असंतोष बढ़ने का आरोप लगा है। पहली सूची में “दागी और अक्षम” नेताओं को टिकट की पेशकश को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शनों ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आगामी चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों की देखरेख के लिए छह पैनल बनाकर मामला शांत करने के लिए प्रेरित किया।

केसर सिंह, तरुण कुमार, जय प्रकाश चौधरी, राशिद फाखरी और संयोगिता सिंह जैसे युवा नेताओं को टिकट देने से कांग्रेस का एक खेमा नाजार था। कांग्रेस आलाकमान हरकत में आ गया और चुनाव प्रबंधन की देखरेख के लिए अपने वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं की एक टीम को तुरंत बिहार भेज दिया।

11 अक्टूबर को कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए विभिन्न समितियों के साथ विभिन्न समितियों की घोषणा की। सुरजेवाला इसके महासचिव के रूप में पूर्व महासचिव मोहन प्रकाश के साथ चुनाव प्रबंधन और समन्वय समिति के प्रमुख हैं, जबकि प्रवक्ता पवन खेरा मीडिया पैनल के प्रभारी हैं। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह और राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह, जिनके खिलाफ राज्य के नेताओं ने विद्रोह किया, उन्हें इन समितियों से बाहर रखा गया।

तीन दिन बाद, सात एआईसीसी सचिव- जितेन्द्र बघेल, सुधीर शर्मा, चेला वामशी चंद रेड्डी, गुरकीरत सिंह कोटली, महेंद्र जोशी, काजी मोहम्मद निजामुद्दीन और राजेश धर्माणी को केंद्रीय टीम की सहायता के लिए बिहार में तैनात किया गया।

पार्टी ने पटना में एक वॉर रूम भी स्थापित किया और झारखंड इकाई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजॉय कुमार को कार्यभार सौंपा, जिन्होंने पिछले साल आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। पिछले महीने उन्होंने घर वापसी की। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक पूर्व अधिकारी अजय कुमार ने 1986 में पटना के पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवा दी थी।

कांग्रेस ने 70 निर्वाचन क्षेत्रों में 70 पर्यवेक्षकों की तैनाती की है, जो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वामपंथी दलों के साथ-साथ महागठबंधन के हिस्से के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से राजद 144 पर और वामपंथी दल 29 पर चुनाव लड़ रहे हैं। सहयोगी दलों ने एक राजनीतिक समन्वय समिति का भी गठन किया है, जो हर दिन बैठकें करके स्थानीय तैयारियों और निर्वाचन क्षेत्र विशेष के अंतर पर चर्चा करती है।

खेरा की सहायता के लिए पार्टी ने संजीव सिंह और अभय दुबे सहित विशेष समन्वयकों को भी नियुक्त किया है, जिन्हें AICC के संचार विभाग से लिया गया था।

हालांकि, सुरजेवाला ने कहा कि यह एक ऐसी दिनचर्या है, जिसे एआईसीसी हर राज्य के चुनाव में अपनाता है और बिहार में केंद्रीय टीम की भूमिका स्थानीय नेतृत्व के प्रयासों का समर्थन करना है। उन्होंने कहा, “हम चुनाव प्रबंधन में शामिल हैं, जिसे पूरी तरह से राज्य के नेतृत्व ही संभालते है। मेरी भूमिका असंतुष्टों को मनाने, स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम को देखने के साथ-साथ वॉर रूम और मीडिया प्रबंधन को देखने की भी है।’ सुरजेवाला ने कहा कि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा 22 अक्टूबर को होने वाले विधान परिषद चुनाव में व्यस्त है।

पटना स्थित राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अजय कुमार झा, जो पहले एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज से जुड़े थे, ने कहा कि कांग्रेस के इस कदम के लिए राज्य में मजबूत नेतृत्व की कमी और टिकट वितरण के आरोप को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

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