आचार्य चाणक्य अपने नीति शास्त्र में 5 चीजों का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जिस स्थान पर ये 5 चीजें न हों उस जगह को व्यक्ति द्वारा अपना निवास स्थान नहीं बनाना चाहिए. आइए जानते हैं इन 5 चीजों के बारे में…
लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।
पञ्च यत्र न वर्तन्ते न कुर्यात् तत्र संस्थिति:॥
चाणक्य नीति के इस श्लोक में आचार्य कहते हैं…
- जहां रोजी-रोटी, आजीविका या व्यापार का कोई साधन व स्थिति न हो.
- जहां लोगों में लोकलाज व किसी प्रकार का भय न हो.
- जिस स्थान पर परोपकारी लोग न हों और जिनमें त्याग की भावना न पाई जाती हो.
- जहां लोगों को समाज या कानून का कोई भय न हो.
- जहां के लोग दान देना जानते ही न हों.
ऐसे स्थान पर व्यक्ति का कोई सम्मान नहीं होता और वहां रहना भी कठिन होता है. इसलिए व्यक्ति को अपने आवास के लिए सब प्रकार से साधन सम्पन्न और व्यावहारिक स्थान चुनना चाहिए ताकि व एक स्वस्थ वातावरण में अपने परिवार के साथ सुरक्षित एवं सुखी रह सके.
चाणक्य कहते हैं कि, क्योंकि जहां के लोगों में ईश्वर, लोक व परलोक में आस्था होगी वहीं सामाजिक आदर का भाव होगा, अकरणीय कार्य करने में भय, संकोच व लच्चा का भाव रहेगा. लोगों में परसपर त्याग भावना होगी और वे व्यक्ति स्वार्थ में लीन कानून तोड़ने वाले नहीं होंगे, बल्कि दूसरों का हित चाहने वाले और दान देने वाले होंगे.