वास्तु शास्त्र के दृष्टिकोण से घर के हर कक्ष यानी कमरे का विशेष महत्व होता है. घर के जिस कमरे में अतिथि यानी मेहमानों को बैठाया जाता है उसे ड्राइंग रूम या गेस्ट रूम कहते हैं. गेस्ट रूम की दशा और दिशा का व्यक्ति के विचारों पर प्रभाव पड़ता है. आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार घर का ड्राइंग रूम या गेस्ट रूम कैसा होना चाहिए.
यदि घर पूर्व या उत्तरमुखी है तो ड्राइंग या गेस्ट रूम को पूर्वोत्तर दिशा अर्थात ईशान कोण में होना चाहिए.
यदि मकान पश्चिममुखी है तो ड्राइंग रूम उत्तर-पश्चिम दिशा अर्थात वायव्य कोण में होना चाहिए. यदि मकान दक्षिणमुखी है तो गेस्ट रूम दक्षिण-पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण में होना चाहिए. खिड़कियां पूर्व या उत्तर दिशा में होना लाभकारी है. घर की उत्तर दिशा में गेस्ट रूम बनाना शुभ माना जाता है.
ड्राइंग रूम या गेस्ट रूम की दीवारों का रंग हल्का, शांत व सौम्य होना चाहिए. वास्तु के अनुसार हल्के नीले, हल्के हरे और आसमानी रंग का चुनाव करना चाहिए. ध्यान रखें कि गर कमरे की छत में सफेद रंग ही कराएं. रूम में खिड़की और दरवाजे के पर्दे दीवारों के रंग से मिलते-जुलते रंगों में ही प्रयोग करें.
कई बार ऐसा होता है कि गेस्ट या ड्राइंग रूम का निर्माण तो वास्तु के अनुसार कर लिया जाता है लेकिन फर्नीचर पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता. ड्राइंग रूम के फर्नीचर का चुनाव करते हुए उसके आकार का ध्यान जरूर रखें. ऐसा ना हो कि पूरा रूम सिर्फ सोफे और टेबल से ही घिर जाए. ड्राइंग रूम में दक्षिण दिशा की तरफ भारी फर्नीचर रखना चाहिए. उसके अलावा पश्चिम दिशा में भी फर्नीचर रखा जा सकता है.
गेस्ट या ड्राइंग रूम में परिवार का चित्र दक्षिण दिशा की ओर लगाने से घर में खुशियां बढ़ती हैं. वहीं उत्तर की दिशा में एक्वेरियम रखा जा सकता है. इसके अलावा दौड़ते हुए घोड़ों की तस्वीर लगाना भी शुभ माना जाता है. ड्राइंग या गेस्ट रूम की उत्तर दिशा में नीले रंग की वस्तुएं रखना लाभकारी माना जाता है. जंगली जानवर, रोते हुए बच्चों के चित्र बिल्कुल नहीं लगाने चाहिए.