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दो बीघा जमीन से लगान तक, जब बॉलीवुड फिल्मों में दिखा किसानों का दर्द….

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कृष‍ि बिल के ख‍िलाफ किसानों का आक्रोश अब आंदोलन में बदल चुका है. अलग-अलग राज्यों के किसान सरकार के इस बिल के ख‍िलाफ सड़क पर उतर आए हैं. बॉलीवुड में भी किसानों की जिंदगी और उनके संघर्ष को पर्दे पर बखूबी दिखाया है. आइए जानें उन हिंदी फिल्मों और उनकी कहानी.

दो बीघा जमीन 

67 साल पहले आई दो बीघा जमीन में भारतीय किसानों की जिंदगी को बेहतरीन तरीके से पेश किया गया था. फिल्म में किसानों से उनकी जमीन छीन ली जाती है तब कर्ज के तले दबे किसानों का संघर्ष और उनका शोषण करते साहूकारों की दुर्दशा को फिल्म में बिल्कुल सटीक अंदाज में दिखाया गया है.

आमिर खान के प्रोडक्शन में बनी फिल्म पीपली लाइव गरीबी से जूझते किसानों और देश की मीड‍िया की कवरेज पर व्यंग्य है. फिल्म में एक किसान किसानों को उनकी मजूरी दिलाने के लिए आत्महत्या करने का फैसला लेता है पर इससे पहले कि वो ऐसा करता, मीड‍िया और नेता उसके गांव को कब्जे में लेकर उस घटना की कवरेज करते हैं.

1967 में मनोज कुमार की फिल्म उपकार में भी किसानों की दशा को बखूबी दिखाई गई है. किसान पर‍िवार की एक महिला का अपने दोनों बच्चों को पढ़ाने का सपना पूरा नहीं हो पता है. इसके बाद एक बच्चे को वो शहर भेज देती है पढ़ने के लिए तो वहीं दूसरा किसान बन जाता है. किसान बने बेटे को काफी संघर्ष करना पड़ता है. लोगों की धोखेबाजी का श‍िकार होता है. उसकी इन्हीं पीड़ाओं को फिल्म में दिखाया गया है.

आमिर खान की फिल्म लगान भले ही क्रिकेट पर ज्यादा फोकस करती है पर इसमें भी इसका मूल जमीन से जुड़े किसानों से ही है. फिल्म में किसान अपने हक और जमीन के लिए क्रिकेट का चैलेंज लेते हैं जिसे वे जीत जाते हैं.

1976 में रिलीज फिल्म मंथन में भारत के व्हाइट रिवोल्यूशन (सफेद आंदोलन) के दौरान लोगों की दुर्दशा दिखाई गई है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे पांच लाख किसान 2-2 रुपये जमा करते हैं और सफेद आंदोलन का रूप देते हैं. इस फिल्म में बेस्ट फिल्म नेशनल अवॉर्ड मिला था.

1976 में रिलीज फिल्म मंथन में भारत के व्हाइट रिवोल्यूशन (सफेद आंदोलन) के दौरान लोगों की दुर्दशा दिखाई गई है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे पांच लाख किसान 2-2 रुपये जमा करते हैं और सफेद आंदोलन का रूप देते हैं. इस फिल्म में बेस्ट फिल्म नेशनल अवॉर्ड मिला था.

2009 में रिलीज फिल्म किसान में किसानों की आत्महत्या संबंध‍ित मुद्दे को उकेरा गया है. फिल्म में अरबाज खान और सोहेले खान लीड रोल में हैं

फिल्म कड़वी हवा में प्रकृति की मार को झेलते किसानों का दर्द दिखाया गया है. कैसे बार‍िश-बाढ़ और सूखे से जूझते एक किसान पर‍िवार की ये दर्द भरी कहानी लोगों को अंदर तक हिला कर रख देती है.

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