नगर निगम द्वारा सीवेज प्रबंधन के लिए शहर में कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत छोटे तालाब बड़े और तालाब समेत ऐसे जल स्त्रोतों को चिन्हित किया जाएगा जहां सीवेज का पानी वाटर बॉडी में जाकर मिलता है। बता देगी केंद्र सरकार के सीवेज प्रबंधन को लेकर देशभर में प्रतिस्पर्धा स्वच्छता सर्वेक्षण की तर्ज पर शुरू की गई है। इसे लेकर नगर निगम ने नई प्लानिंग के तहत सर्वे शुरू कर दिया है।
निगम अधिकारियों ने बताया कि शहर में 7 सीवेज प्रोजेक्ट के जरिए गंदे पानी का ट्रीटमेंट किया जा रहा है। इसके अलावा 4 प्रोजेक्ट पर काम जारी है। इसमें शिरीन नदी, प्रोफेसर कॉलोनी, सलैया के प्रोजेक्ट शामिल है। नगर निगम का दावा है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से गंदे पानी के शुद्धिकरण के बाद इन्हें दोबारा उपयोग के लिए प्लान तैयार किया जा रहा है। इंदौर में गंदे पानी को ट्रीट कर निर्माण कार्यों में उपयोग किया जाता है। इससे नगर निगम को राजस्व भी मिलता है। इसके उलट भोपाल नगर निगम में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से शुद्धिकरण के बाद पानी के दो बार उपयोग की कोई रूपरेखा तैयार नहीं की गई है। जबकि केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक इन पानी का उपयोग धुलाई, सिंचाई, निर्माण कार्यों में करने का प्रविधान किया गया है।
निगम अधिकारियों ने बताया कि शहर में दो एजेंसियों द्वारा सीवेज प्रबंधन का काम किया जाता है। इसमें नगर निगम के अलावा पीएचई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का संधारण करती है। पीएचई के शहर में आधा दर्जन से अधिक प्लांट है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के निर्देश पर दोनों ही एजेंसियां मिलकर शहर में नए सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर काम करेंगी।