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मुंबई हमले के मास्टरमाइंड ज़की उर रहमान लखवी को आतंकी फंडिंग के केस में 15 साल की सजा…..

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पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई हमले के मास्टरमाउंड ज़की उर रहमान लखवी  को 15 साल की सज़ा सुनाई है. यह सज़ा आतंकियों को फंडिंग के मामले में सुनाई गई है. इसका 26/11 हमले से कोई लेना-देना नहीं है. लखवी मुंबई हमला  मामले में 2015 से ही जमानत पर है. लखवी को पिछले हफ्ते ही गिरफ्तार किया गया था.

जज एजाज़ अहमद बुत्तर ने 30 लाख का ज़ुर्माना भी लगाया है. पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधी विभाग (सीटीडी) ने साफ़ किया है लखवी की गिरफ्तारी आतंकियों को धन पहुंचाने के मामले में हुई है. सीटीडी के मुताब़िक ये सजा किसी ‘ख़ास आतंकी हमले’ के मामले में नहीं हुई है. लखवी मुंबई आतंकी हमले में भी शामिल रहा है. लश्कर ए तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद के बाद आतंकी संगठन में उसे नंबर दो माना जाता है.

मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी उर रहमान लखवी को शनिवार पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया है. पाकिस्तान के  आतंकवाद निरोधक विभाग (सीटीडी) के अधिकारियों ने दो जनवरी को एक बयान में कहा था कि खुफिया सूचना पर प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी जकीउर रहमान लखवी को आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के आरोपों में गिरफ्तार किया है. पिछले कुछ वक्त में पाकिस्तान में जकी उर रहमान लखवी के अलावा हाफिज सईद पर भी शिकंजा कसा गया है. उसे भी आतंकी फंडिंग के एक मामले में 10 साल की सजा हो चुकी है.

इसे आतंकी फंडिंग के खिलाफ काम करने वाले वैश्विक संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्कफोर्स (FATF) दबाव भी माना जा रहा है. एफएटीएफ ने टेरर फंडिंग (Terror Funding)  के खिलाफ पाक की कार्रवाई को नाकाफी माना है और उसे ग्रे लिस्ट (संदिग्ध सूची) में बनाए रखा है. अगले महीने एफएटीएफ की बैठक होनी है.पाकिस्तान अगर आतंकी फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तो उसे काली सूची में डाला जा सकता है. इसके तहत उसे कई तरह के वित्तीय प्रतिबंध झेलने पड़ेंगे.

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