मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के हर नगर में नल से पर्याप्त स्वच्छ पेयजल पहुँचाया जाएगा। इसके लिए संचालित पेयजल योजनाएँ समय से पूरी हों, उनकी गुणवत्ता अच्छी हो तथा रेस्टोरेशन का कार्य भी साथ-साथ हो जाए और कार्य-स्थल खोद कर नहीं छोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश का कोई भी नगर बिना सीवरेज सिस्टम के न रहे। सीवरेज कार्य होने पर वे कार्यशील हो और सीवेज का ट्रीटमेंट प्रारंभ हो जाए, यह सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में शहरी पेयजल एवं सीवरेज योजनाओं के कार्य की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस और प्रमुख सचिव श्री नीतेश व्यास आदि उपस्थित थे।
भौतिक सत्यापन कराएं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि जो योजनाएँ पूर्ण हो गई हैं, उनका भौतिक सत्यापन कराया जाए। आयुक्त नगरीय प्रशासन ने बताया कि प्रदेश के 211 नगरीय निकायों में पेयजल योजनाएँ पूरी हो गई हैं और167 में कार्य चल रहा है।
वर्ष 2014 का कार्य पूरा क्यों नहीं हुआ
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने लंबित पेयजल योजनाओं की कार्यवार समीक्षा की। पंधाना नगर की 2014 की पेयजल योजना वर्ष 2015 में पूरी होनी थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई। इस पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने असंतोष व्यक्त करते हुए योजना को शीघ्र पूरा किए जाने के निर्देश दिए।
रोज मॉनीटरिंग करें, शीघ्र पूरा करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि जिन पेयजल योजनाओं का कार्य पूरा नहीं हुआ है, उनकी रोज मॉनीटरिंग कर उन्हें शीघ्र पूरा किया जाए।
अमरकंटक में विशेष प्रयास करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अमरकंटक में सीवरेज की वर्तमान व्यवस्था ठीक नहीं है। वहाँ विशेष प्रयास किए जाकर तेज गति से सीवरेज का कार्य कराया जाए। नर्मदा नदी में गंदा मल-जल नहीं मिलना चाहिए। चित्रकूट में भी इस संबंध में विशेष ध्यान दिया जाए। ओंकारेश्वर की सीवरेज परियोजना भी शीघ्र पूरा करें।
स्नेहपूर्वक सहयोग करें
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अच्छा कार्य करने वाले ठेकेदारों को स्नेहपूर्वक सहयोग करें। जो ठेकेदार कार्य नहीं करते अथवा घटिया कार्य करते हैं उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
अभी 30 प्रतिशत ट्रीटमेंट की व्यवस्था
नगरीय विकास आयुक्त ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के नगरीय निकायों में प्रतिदिन 2200 एम.एल.डी. सीवेज जनरेट होता है, जिसमें से लगभग 30 प्रतिशत मात्रा (690 एम.एल.डी.) का ही ट्रीटमेंट हो पाता है। वर्ष 2022 तक प्रतिदिन 1880 एम.एल.डी. सीवेज के ट्रीटमेंट की व्यवस्था हो जाएगी, जो कुल सीवेज का लगभग 86 प्रतिशत होगा।