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लद्दाख से हटा तो सिक्किम-अरुणाचल की सीमा पर डटा, चीनी सेना की हरकतें बढ़ा रहीं चिंता….

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चीन ने भले ही पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग लेक से अपनी सेना को पीछे कर लिया है और हथियारों की तैनाती कम कर दी है, लेकिन अब अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्यों की सीमा पर तैनाती बढ़ा दी है। यहां चीनी सेना ने अपना मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया है, जो भारत की चिंताओं को बढ़ाने वाला है। पिछले दिनों सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने जब चीन की सेना पर भरोसा न करने की बात कही थी तो उनका आशय चीन से लगी 3,488 km लंबी एलएसी से था। यह बात अब पूर्वोत्तर राज्यों से लगी सीमा पर साबित होती दिख रही है।

यही नहीं पश्चिमी मोर्चे पर भी बात करें तो पैगोंग लेक के अलावा कहीं और स्थिति सामान्य नहीं दिख रही। गोगरा-हॉट स्प्रिंग पर भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इसके अलावा देपसांग और दौलत बेग ओल्डी में भी अब तक पहले जैसी ही स्थिति है। दोनों सेनाओं के बीच इन मोर्चों पर पहले जैसी स्थिति बहाल करने को लेकर वार्ता जारी है और रोडमैप तैयार किया जा रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द चीन की ओर से सिक्किम और अरुणाचल सीमा पर बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है। यहां चीन ने सैनिकों की तैनाती में इजाफा कर दिया है। हथियार बढ़ा दिए हैं और सिक्किम के नाकु ला तक में चीन ने सड़कों का मजबूत जाल बिछाया है। मई 2020 के बाद से ही नाकु ला में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का अतिक्रमण देखने को मिलता रहता है।

चीनी सेना ने 6 साल पहले नाकु ला में घुसपैठ की कोशिश की थी। इसके तहत उसने यह संदेश देने की कोशिश की थी कि सिक्किम भले ही भारत का हिस्सा है, लेकिन चीन के साथ उसकी सीमाओं को लेकर विवाद है। इसके अलावा भारत के लिए बड़ी चिंता का कारण चीन की ओर से अरुणाचल सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है। अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबानसिरी जिले से लगती सीमा पर ड्रैगन ने कम से कम तीन नए पुल तैयार किए हैं। इसके अलावा 66 किलोमीटर लंबी सड़क भी तैयार की है। यही नहीं कई जगहों पर सैनिकों के रुकने के लिए भी शेड की व्यवस्था की है।

एक सीनियर अधिकारी ने चीन की हरकतों को लेकर कहा कि यह चिंता की बात है कि पीएलए भले ही पैंगोंग लेक पर शांति के लिए सहमत है, लेकिन अब भी उसकी नजर एलएसी पर ही है। इससे साफ है कि भारतीय सेना को चीन से लगी पूरी सीमा पर पहले की तरह ही सतर्कता बरतनी होगी। भले ही भारत और चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता जारी है, लेकिन सरकार में बैठे रणनीतिकारों का मानना है कि हमें पूरी तरह से मुस्तैद रहना होगा।

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