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क्या मिल गया गीता का परिवार? पाकिस्तान से लौटने के पांच साल बाद फिर जगी उम्मीद….

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भारत में अपने घर वालों की तलाश में पाकिस्तान से साल 2015 में लौटी गीता के लिए जल्द खुशखबरी मिलने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश के सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट की अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा की एक महिला द्वारा उपलब्ध करवाई गई बर्थमार्क की जानकारी का गीता से मिलान हुआ है। हालांकि, डीएनए टेस्ट करवाया जाना अभी बाकी है। एमपी के सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट की ज्वाइंट डायरेक्टर सुचिता टिर्की ने बताया कि अगर डीएनए टेस्ट पॉजिटिव पाया जाता है, तो फिर 29 वर्षीय गीता राधा वाघमारे के नाम से जानी जाएगी जो कि महाराष्ट्र के परभणी जिले के जिंतूर गांव की रहने वाली थी। गीता इस समय परभणी के पहल फाउंडेशन के घर में रह रही हैं और स्किल ट्रेनिंग ले रहीं।

आनंद फाउंडेशन इंदौर के संयोजक, ज्ञानेंद्र पुरोहित, जिन्होंने इंदौर पुलिस की मदद से गीता के परिवार की खोज की, ने कहा, “नायगांव के रहने वाली 71 वर्षीय मीना दिनकर पंधारे को 100 फीसदी यकीन है कि गीता उनकी पहली शादी से हुई उनकी बेटी ही है।” उन्होंने कहा कि गीता ने जो भी बचपन की यादों को शेयर किया- गन्ने के खेत, रेलवे स्टेशन के सामने प्रसूति घर, डीजल इंजन और खाने की आदतें-सभी पंधारे के गांव से मिलती-जुलती हैं। उन्होंने कहा कि मैंने मीना के दावे को तब माना जब उन्होंने बताया कि गीता के पेट पर जले होने का निशान होगा। गीता यह कन्फर्म नहीं कर रही थी, लेकिन जब महिला पुलिस कॉन्स्टेबल ने यह चेक किया तो उसने उसी जगह वह निशान पाया।

पुरोहित ने कहा कि उन्होंने उसके चेहरे की विशेषताओं, खाने की आदतों और बचपन की यादों की मदद से पिछले साल जुलाई में उसके माता-पिता की खोज शुरू की। उन्हें तब यह लगा कि गीता महाराष्ट्र की हो सकती है, जब पिछले साल अक्टूबर में मध्य प्रदेश के देवास जिले के एक आश्रम से एक लड़की को बचाया गया था। पुरोहित ने बताया, ”लड़की ने भी गीता की तरह दाहिनी नाक छिदवाई थी। हमने उसका ठिकाना पूछा और लड़की ने कहा कि वह मराठवाड़ा से है। हमने मराठवाड़ा में परभणी के पहल फाउंडेशन के साथ संपर्क किया, जो मूक-बधिर लोगों के लिए भी काम करता है, और गीता के माता-पिता को खोजने के लिए उनकी मदद मांगी।”

उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद दिसंबर महीने में मीना ने हमसे संपर्क किया। वह पढ़ी-लिखी नहीं है और सिर्फ मराठी ही जानती है। उसने हमसे कहा कि उसकी बेटी साल 1999-2000 से गायब है। गीता ने भी मीना द्वारा कही गई हर बात की पुष्टि की, लेकिन जब उसे उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में पता चला, तो वह उसके साथ जाने के लिए अनिच्छुक थी।  पहल फाउंडेशन के संयोजक अनिकेत सालगांवकर ने सांकेतिक भाषा के जरिए से कहा, ”हमें खुशी है कि गीता ने अपनी मां को पाया, लेकिन वह अपनी मां के साथ नहीं जाना चाहती है, और यह स्पष्ट है कि वह 20 साल बाद उससे मिली है। वह नौकरी करना चाहती थी इसलिए हम उसे स्किल ट्रेनिंग प्रदान कर रहे हैं।”

बता दें कि गीता 20 साल पहले लापता हो गई थी और साल 2000 में पाकिस्तान पहुंच गई। पाकिस्तान की ईधी फाउंडेशन द्वारा दिए गए डॉक्युमेंट्स के अनुसार, गीता साल 2000 में लाहौर में समझौता एक्सप्रेस में अकेली बैठी पाई गई थी। पूर्व विदेश मंत्री (दिवंगत) सुषमा स्वराज ने 2015 में गीता को देश वापस लाए जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 24 से अधिक जोड़ों ने अब तक गीता के माता-पिता होने का दावा किया है, लेकिन किसी से भी डीएनए मैच नहीं हो सका है।

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