Home हिमाचल प्रदेश हिमाचल में किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज से 30,366 अन्नदाता हुए डिफाल्टर,...

हिमाचल में किसान क्रेडिट कार्ड के कर्ज से 30,366 अन्नदाता हुए डिफाल्टर, खाते एनपीए घोषित….

46
0
SHARE

30,366 किसान केसीसी पर लिया फसली ऋण नहीं चुका पाए हैं और उनके खाते एनपीए कर डिफाल्टर घोषित किया गया है। डिफाल्टर हुए इन किसानों के पास बैंकों के 728.65 करोड़ रुपये फंसे हैं। ऐसे किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में भी रेड एंट्री की गई है। 

हिमाचल प्रदेश के किसानों ने जमीन गिरवी रखकर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) तो बनवा लिए, लेकिन अपनी खेती को इस लायक नहीं बना पाए कि इससे आमदनी बढ़े। अब ऐसे हजारों अन्नदाता कर्ज में डूब गए हैं और उनका इससे बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। 30,366 किसान केसीसी पर लिया फसली ऋण नहीं चुका पाए हैं और उनके खाते एनपीए कर उन्हें डिफाल्टर घोषित किया गया है। डिफाल्टर हुए इन किसानों के पास बैंकों के 728.65 करोड़ रुपये फंसे हैं।

एनपीए घोषित कई खाताधारक किसानों को बैंक नोटिस भी दे रहे हैं। राज्य में 4,36,231 किसानों ने केसीसी बनाए हैं, जिनसे बैंकों को 7719.19 करोड़ रुपये वसूल करने हैं, यानी यह कुल ऋ ण आउटस्टैंडिंग है। किसानों को केसीसी पर कर्ज चार फीसदी के आसपास की ब्याज दर पर मिलता है, लेकिन हजारों कृषक अपनी आमदनी दोगुना या तिगुना करने के चक्कर में अपनी हैसियत से ज्यादा ऋण ले लेते हैं, जिसे वे समय पर चुका नहीं पाते। प्रदेश में सार्वजनिक, निजी और सहकारी क्षेत्र के 22 बैंकों ने किसानों को केसीसी दिए हैं।

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 9,467, एसबीआई में 5,338, आईसीआईसीआई बैंक में 4,908, राज्य सहकारी बैंक में 3,530, हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक में 2,716, यूको बैंक में 2,496, जोगिंद्रा बैंक में 807, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 316, बैंक ऑफ इंडिया में 219, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 188, केनरा बैंक में 164, आईडीबीआई बैंक में 121, बैंक ऑफ बड़ौदा में 42, पंजाब एंड सिंध बैंक में 22, इंडियन बैंक में 16, इंडियन ओवरसीज बैंक में 14 और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में दो खाते एनपीए घोषित हो चुके हैं।

किसान क्रेडिट कार्ड पर लिए कर्ज को वक्त पर नहीं चुका पाने की एक वजह किसानों में जागरूकता का अभाव है। कई बार प्राकृतिक आपदा से फसल ठीक न हो पाना भी इसका कारण रहता है। केसीसी फसली कर्ज होता है। इसे किसान सालाना फसल में बढ़ोतरी के लिए खर्च करने के बजाय आधारभूत ढांचा विकास और अन्य कार्यों में भी लगा देते हैं। इससे उनकी आमदनी प्रभावित होती है और वे इसे समय पर नहीं चुका पाते हैं।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here