सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने जल्दबाजी और अंधाधुंद गिरफ्तारियो और अपराधियों को जमानत मिलने में हो रही देरी पर कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने कहा कि आज जैसे हालात हैं उसमें हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रक्रिया ही सजा है. साथ ही साथ विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक जेल में रखने के मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. हमे आपराधिक न्याय प्रशासन की दक्षता को भी बढ़ाने के लिए एक समग्र योजना की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पुलिस का प्रशिक्षण, संवेदीकरण और जेल प्रणाली का आधुनिकीकरण आपराधिक न्याय के प्रशासन में सुधार का एक पहलू है. इसके बाद CJI ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विपक्ष को भी मजबूत करने की मांग होती है.
हमारे पास सरकार का एक रूप है जहां कार्यपालिका, राजनीतिक और संसदीय दोनों, विधायिका के प्रति जवाबदेह हैं. जवाबदेही लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है. उन्होंने आगे कहा कि मैनें कई मौकों पर संसदीय बहसों और संसदीय समितियों के महत्व पर प्रकाश डाला है. सही में मैं विधायी बहसों की प्रतीक्षा करता था. उस समय खास यह था कि विपक्ष के नेता प्रमुख भूमिका निभाते थे. सरकार और विपक्ष के बीच काफी आपसी सम्मान हुआ करता था. दुर्भाग्य से विपक्ष की गुंजाइश कम होती जा रही है. CJI का यह बयान उस समय आया है जब देश में मोहम्मद जुबैर और गुजरात के नेता जिग्नेश मेवानी की गिरफ्तारी को लेकर काफी विवाद हुआ है.
CJI एनवी रमना ने ये बातें जयपुर में आयोजित 18वीं भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की मीटिंग समारोह में कही. इस समारोह में केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू, सुप्रीम कोर्ट के अन्य वरिष्ठ जज और राजस्थान हाइकोर्ट के जज भी मौजूद थे. बता दें कि CJI की यह टिप्पणी उस वक्त आई है जब कुछ दिन पहले खुद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कैदियों की जल्द रिहाई को कारगर बनाने के लिए ‘जमानत अधिनियम’ बनाने पर विचार करने को कहा था.
बता दें कि CJI एनवी रमना ने बीते कुछ समय में न्यायपालिका की कार्यशैली और संविधान को सुचारू रूप से लागू कराने में इसकी भूमिका को लेकर भी टिप्पणी की है. उन्होंने कुछ दिन पहले ही कहा था कि भारत में सत्ता में मौजूद कोई भी दल यह मानता है कि सरकार का हर कार्य न्यायिक मंजूरी पाने का हकदार है, जबकि विपक्षी दलों को यह उम्मीद होती है कि न्यायपालिका (Judiciary) उनके राजनीतिक रुख और उद्देश्यों को आगे बढ़ाएगी लेकिन ‘न्यायपालिका संविधान और सिर्फ संविधान के प्रति उत्तरदायी’ है. उन्होंने इस बात को लेकर निराशा जताई कि आजादी के 75 साल बाद भी लोगों ने संविधान द्वारा प्रत्येक संस्था को दी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को नहीं समझा है.
सीजेआई रमना ने कहा कि चूंकि हम इस साल आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और देश के गणतंत्र हुए 72 साल हो गये हैं, ऐसे में कुछ अफसोस के साथ मैं यहां कहना चाहूंगा कि हमने संविधान द्वारा प्रत्येक संस्था को प्रदत्त भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को अब तक नहीं समझा है.
उन्होंने एसोसिएशन ऑफ इंडियन अमेरिकंस इन सैन फ्रांसिस्को, यूएसए द्वारा आयोजित एक अभिनंदन समारोह में कहा था कि सत्ता में मौजूद पार्टी यह मानती है कि सरकार का हर कार्य न्यायिक मंजूरी का हकदार है. वहीं, विपक्षी दलों को उम्मीद होती है कि न्यायपालिका उनके राजनीतिक रुख और उद्देश्यों को आगे बढ़ाएगी.