Home राष्ट्रीय नरेंद्र मोदी के बार-बार कर्नाटक जाने के सियासी संकेत क्या हैं?….

नरेंद्र मोदी के बार-बार कर्नाटक जाने के सियासी संकेत क्या हैं?….

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कर्नाटक में विधानसभा चुनाव सिर्फ़ दो महीने दूर हैं और राज्य चुनावों की तैयारी कर रहा है.

सोमवार को कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का 80वां जन्मदिन भी था. प्रधानमंत्री की कर्नाटक यात्रा येदियुरप्पा को ख़ुश करने के लिए भी थी.

प्रधानमंत्री मोदी ने 12 जनवरी को हुबली की यात्रा के साथ कर्नाटक के दौरे शुरू किए थे. मोदी युवा उत्सव का उद्घाटन करने पहुंचे थे. तब से वो यहां बंजारा समुदाय के लोगों को ज़मीनों के अधिकार पत्र बांट चुके हैं और पीने के पानी की योजना की शुरुआत कर चुके हैं.

प्रधानमंत्री ने इस दौरान केंपेगौड़ा की मूर्ति का अनावरण, बेंगलुरू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-2 का उद्घाटन, वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत, ऐरो इंडिया शो का उद्घाटन किया है. इसके अलावा उन्होंने तुमकुर में एचएएल की फ़ैक्ट्री का उद्घाटन किया है.

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले हर बार पार्टी के रणनीतिकार और केंद्रीय मंत्री अमित शाह कर्नाटक पहुंचे हैं. अपनी पिछली यात्रा के दौरान अमित शाह ने संदूर में रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि कर्नाटक में लोगों को बीजेपी को वोट देना चाहिए और मोदी और येदियुरप्पा राज्य में लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देंगे.

अगर कम शब्दों में कहा जाए तो पार्टी के जिस केंद्रीय नेतृत्व ने बहुत आसानी से जुलाई 2021 में येदियुरप्पा को सत्ता से हटा दिया था वो अब फिर से राज्य में पार्टी को सत्ता में वापस लाने के लिए उन्हीं की तरफ़ देख रहा है.

लेकिन पार्टी का नेतृत्व हमेशा डबल इंजन सरकार की बात करता रहा है, पर पिछले चार सालों में राज्य में पार्टी की सरकार के प्रदर्शन के बारे में कम ही बात की गई है.

जागरण लेकसाइड यूनिवर्सिटी भोपाल के वाइस चांसलर और राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफ़ेसर संदीप शास्त्री कहते हैं, “ये चुनाव केंद्रीय नेतृत्व की परीक्षा होंगे. पूरा चुनाव अभियान इस बारे में होगा कि केंद्र सरकार ने क्या किया है, केंद्रीय नेतृत्व का करिश्मा कैसा रहा है और केंद्रीय नेतृत्व अगले पांच साल में क्या करना चाहता है. लेकिन ‘हमने’ राज्य में पिछले चार साल में क्या किया है, इस बारे में कोई बात नहीं होगी.”

वहीं अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर और राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफ़ेसर ए नारायण कहते हैं, “अगर राज्य में सरकार के कामकाज के बारे में बात की जाए तो कोई एक कारण भी ऐसा नहीं है जो बीजेपी के पक्ष में जा रहा हो. वो अब मोदी के करिश्मे और हिंदुत्व के एजेंडे पर निर्भर होने के लिए मजबूर हो गए हैं.

वो हिंदुत्व के एजेंडे को बहुत अधिक बढ़ावा दिए जाने को लेकर भी कुछ चिंतित हैं. इन दोनों में से सुरक्षित ये है कि मोदी को एक ऐसे महान नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जाए जो भारत और कर्नाटक की रक्षा कर रहे हैं.”

नारायण का हिंदुत्व के एजेंडे को बहुत अधिक बढ़ावा ना दिया जाने का तर्क येदियुरप्पा के बयानों से भी मेल खाता है जो उन्होंने राज्य में पार्टी के प्रमुख नवीन कुमार कतील के बारे में दिए हैं.

कतील पिछले कुछ सप्ताह से सिर्फ़ एक एजेंडे को लेकर ही अभियान चला रहे हैं. कतील ये कह रहे हैं कि ये चुनाव इस बात से तय होगा कि आप टीपू सुल्तान का समर्थन करते हैं या वीर सावरकर का. उनका कहना है कि चुनाव विकास के मुद्दे से तय नहीं होगा

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