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मुकेश अंबानी और उनके परिवार को सिर्फ मुंबई ही नहीं, पूरे देश और विदेश में भी मिलेगी Z+सिक्योरिटी…

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सुप्रीम कोर्ट ने उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके परिवार की सुरक्षा को लेकर स्पष्टता दी है. कोर्ट ने कहा है कि Z+ श्रेणी की यह सुरक्षा सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं है. यह पूरे भारत और हिंदुस्तान के बाहर भी उपलब्ध रहेगी. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस सुरक्षा का खर्च अंबानी परिवार खुद उठाएगा. 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ही इस सुरक्षा पर सवाल उठाने वाली त्रिपुरा के एक शख्स की याचिका का निपटारा कर दिया था. लेकिन उसी याचिकाकर्ता ने इस बात पर स्पष्टता मांगी थी कि यह अंबानी परिवार की सुरक्षा सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित है या उसके बाहर भी.

केंद्रीय गृह मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल ही कोर्ट को बताया था कि मुकेश अंबानी और उनके परिवार की सुरक्षा पर खतरे को लेकर खुफिया एजेंसियों की तरफ से रिपोर्ट है. अंबानी परिवार के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने भी कहा था कि देश की आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करने का इरादा रखने वालों से उन्हें दुनिया भर में खतरा है.

22 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को उद्योगपति मुकेश अंबानी और उनके परिवार को दी गई सुरक्षा बनाए रखने की अनुमति दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमें इस सुरक्षा पर सवाल उठाया गया था. हाई कोर्ट के आदेश में केंद्रीय गृह मंत्रालय के सक्षम अधिकारी को पेश होने और अंबानी परिवार को सुरक्षा देने की जरूरत पर सफाई देने को कहा गया था. 

पिछले साल हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि यह मामला आखिर हाई कोर्ट में कैसे सुना जा रहा है. बेंच ने कहा था कि त्रिपुरा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले का मामले से कोई संबंध नहीं हैय अंबानी परिवार अपनी सुरक्षा का खर्च खुद उठा रहा है. इस मसले पर किसी सुनवाई की कोई जरूरत नहीं.

उद्योगपति मुकेश अंबानी की सुरक्षा पर खतरे को देखते हुए उन्हें Z+ सुरक्षा दी गई है. उनके परिवार के कुछ सदस्यों को भी Y+ सुरक्षा दी गई है. बिकास साहा नाम के याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के जरिए इसे त्रिपुरा हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से अंबानी परिवार को खतरे को लेकर किए गए आकलन का ब्यौरा देने के लिए कहा था. हाई कोर्ट ने कहा था कि मंत्रालय के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जानकारी दें. 

इसे चुनौती देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सुरक्षा महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दी गई है. इसके खिलाफ पहले दाखिल हुई याचिका को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुके हैं. इस पूरे मामले का त्रिपुरा से कोई संबंध नहीं है. सरकार ने यह भी कहा था कि किसी परिवार को सुरक्षा दिए जाने का विरोध जनहित याचिका का विषय नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने पिचले साल ही इस दलील को स्वीकार कर सुरक्षा जारी रखने का आदेश दिया था. अब अपने आदेश पर और स्पष्टता दी है. 

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