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सरदार सरोवर परियोजना के प्रभावितों को अब तक के सबसे बेहतर लाभ और सुविधाएँ….

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मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों के विस्थापन एवं पुनर्वास का कार्य पूरी गंभीरता एवं संवेदनशीलता के साथ किया जा रहा है। सरदार सरोवर परियोजना में मध्यप्रदेश के बडवानी, धार, अलीराजपुर एवं खरगोन जिले के 178 ग्रामों के 23614 विस्थापित परिवार हैं जिनमे से 5551 विस्थापित परिवार गुजरात में एवं 18063 विस्थापित परिवार मध्यप्रदेश में बसना थे। इनमें से अभी तक 9242 परिवार बस चुके हैं। माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश दिनांक 08.02.2017 द्वारा जिन 681 परिवारों को रू 60 लाख राशि देने के निर्देश दिये गये, उनमें से अब तक शिकायत निवारण प्राधिकरण के माध्‍यम से कुल 629 परिवारों को राशि रू 60 लाख की राशि का भुगतान किया जा चुका है।

इसी प्रकार, माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेशानुसार झा आयोग से प्राप्‍त रिपोर्ट के ऐसे 943 विस्‍थापित परिवार फर्जी रजिस्‍ट्री में शोषित बताये गए थे, उनमे से अभी तक 862 परिवारों को राशि रू 15 लाख का भुगतान किया जा चुका है। इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार डूब क्षेत्र खाली करने के वचनपत्र के साथ यह राशि प्राप्त की है जिससे स्पष्ट है की अधिकाँश विस्थापित विस्थापन चाहते हैं। कुछ विस्थापित सूचना के बावजूद लाभ नहीं ले रहे हैं, उन्हें भी इच्छानुसार किसी भी दिन लाभ प्राप्त करने की सुविधा दी गई है। डूब क्षेत्र में प्रत्येक परिवार को, चाहे वह विस्थापित की परिभाषा में हो या नहीं, यदि उसके पास डूब क्षेत्र से बाहर पक्का मकान नहीं है, तो केंद्र की योजना में अथवा राज्य से प्रधानमंत्री आवास के समतुल्य 1.32 लाख रूपये की राशि उपलब्ध कराई जा रही है। इसी प्रकार उन लोगों के लिए अस्थाई आवास एवं मुफ्त भोजन की भी व्यवस्था की जा रही है, जिनके पास अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है। इसके लिए 3400 सर्वसुविधायुक्त अस्थाई आवास निर्मित किये गए हैं जिनमे विस्थापित निशुल्क रह सकते हैं और उन्हें मुफ्त भोजन भी दिया जायेगा।

जो विस्थापित स्वयं अपनी व्यवस्था से जाना चाहते हैं, उनको एकमुश्त रु. 80,000 दिए जायेंगे। परिवहन के लिए भी रु. 5000 अथवा मुफ्त परिवहन दिया जा रहा है। पुनर्वास के लिए 10 से 15 वर्ष पूर्व बनाई गयी साइटों पर वृहद् उन्नयन और सुधार कार्य सिंहस्थ की तर्ज पर मल्टी- एजेंसी मॉडल पर किये गए हैं जिससे सड़क, पानी एवं बिजली की मूलभूत सुविधाएं निर्बाध प्राप्त हो। इन सभी के लिए मध्यप्रदेश लगभग 640 करोड़ रूपये का व्यय करेगा। लगभग 1783 विस्थापित परिवारों को, जिन्होंने जमीन के बदले जमीन के लिए पूर्ण 5.58 लाख रूपये राशि नकद ले ली थी, उन्हें कोर्ट से 15 लाख रूपये के पैकेज का लाभ नहीं मिला था, उन्हें भी मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा लगभग 170 करोड़ रूपये की राशि से 15 लाख के पैकेज का लाभ दिया गया है। कुल पैकेज राशि 640 करोड़ रूपये है जो नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण अवार्ड/न्यायालय के निर्णय द्वारा मिलने वाले लाभों के अतिरिक्त है।

विस्थापितों और उनके वयस्क पुत्रों को विकसित पुनर्वास स्थलों पर 5400 वर्गफुट के भूखंड दिए गए हैं। भूमि एवं मकान का मुआवजा दिया गया है और इसके अलावा उपरोक्त सुविधाएँ दी गयी हैं। राज्‍य शासन द्वारा सर्वोच्च न्‍यायालय के निर्णय, नर्मदा जल विवाद न्‍यायाधिकरण एवं पुनर्वास नीति के प्रावधानों के अनुसार सभी पात्र विस्‍थापितों को लाभ दि‍ये गये हैं।

डूब क्षेत्र में स्थित सभी मंदिर /संरचनाओं का अर्जन किया गया है तथा निर्धारित मुआवजा राशि संबंधित कलेक्‍टरों के खाते में इस प्रयोजन से रखी गई है कि संबंधित ग्रामवासी/समाजवासी पुनर्वास स्‍थल पर निर्धारित भूमि क्षेत्र पर नवीन निर्माण करा सके। मंदिरों के पुन: निर्माण हेतु आवश्‍यक भूमि भी नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी गयी है और डूब ग्रामों की शेष भूमि पर आने-जाने के लिए नवीन मार्ग, पुल-पुलियाओं की भी स्वीकृति दी गयी है। निसरपुर में व्यवसायिओं के लिए शॉपिंग काम्प्लेक्स हेतु व्यावसायिक स्थान 382 छोटे व्यापारियों हेतु ग्राम पंचायत को उपलब्ध कराया गया है।

मध्यप्रदेश शासन द्वारा 5 जून को घोषित विशेष पैकेज में नाविकों, मछुआरों एवं ईंट बनाने वालों के लिए भी रोज़गार के विशेष प्रावधान किये गए हैं। इसके अलावा डूब क्षेत्र में रह रहे उन लोगों के लिए भी पुनर्वास की व्यवस्था की गई है जो अन्यथा पुनर्वास नीति में विस्थापित की परिभाषा में नहीं आते हैं लेकिन उनके पास अन्यत्र जाने के लिये कोई व्यवस्था या साधन नहीं हैं।

विस्थापित बड़ी संख्या में सरकार के पैकेज का लाभ ले रहे हैं। मध्यप्रदेश में डूब क्षेत्र के सभी प्रभावित ग्रामों का हाउस टू हाउस सर्वे पूरा किया जा चुका है तथा प्रत्येक ग्राम में ड्रोन सर्वे किया गया है ताकि डूब की स्थिति स्पष्ट रहे। इसके अलावा इसरो के सहयोग से जलभराव के समय वास्तविक डूब पर निगाह रखी जायेगी। प्रत्येक जिले में आकस्मिक कार्य योजना लागू की गयी हैं जिसकी कुल लागत रु.50 करोड़ है जो विस्थापन एवं बाढ़ के समय सहायता के लिए है। पुलिस व्यवस्था के अलावा नेशनल डिजास्टर रिफार्म फोर्स की 2 टीम भी लगाईं जा रही हैं जो आकस्मिकता की स्थिति में सहायता कर सकेगी।

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