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हिमाचल की नई सरकार की धर्मशाला में हुई मंत्रिमंडल की कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए

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जयराम सरकार ने पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लगे एडिशनल एडवोकेट जनरल, डिप्टी जनरल और असिस्टेंट एडवोकेट जनरल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।  अब इनके स्थान पर नई वकीलों की तैनाती होगी। धर्मशाला में मंत्रिमंडल की बैठक में इनकी तैनाती को लेकर नई पॉलिसी लाई गई। इसमें महाधिवक्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का चयन होगा। प्रधान सचिव गृह और प्रधान सचिव विधि भी इसके सदस्य होंगे।

यह कमेटी योग्यता के हिसाब से नई नियुक्तियां करेगी। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 46 वकीलों की फौज खड़ी की गई थी। इन पर कई तरह के सवाल भी खड़े हुए थे। इसको देखते हुए भाजपा सरकार ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है।जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को इस संबंध में आदेश दिए थे कि एडिशनल एडवोकेट जनरल, डिप्टी जनरल और असिस्टेंट एडवोकेट जनरल की नियुक्तियों के लिए सर्च कमेटी का गठन करे।इसके बाद पंजाब सरकार ने विधानसभा में पंजाब लॉ ऑफि सर्स अंगेजमेंट बिल 2017 पास किया। बिल में पंजाब के एडवोकेट जनरल आफिस में लॉ अफसर की नियुक्ति के लिए नियम तय किए गए। अब हिमाचल प्रदेश की नव निर्वाचित भाजपा सरकार ने भी पॉलिसी तैयार की है।

एडिशनल एडवोकेट जनरल के लिए 10 वर्ष का अनुभव के साथ 100 केस पिछले तीन साल किसी न्यायालय में लड़े होना चाहिए। डिप्टी एडवोकेट जनरल के लिए सात साल की प्रैक्टिस और पिछले तीन साल में 75 मामलों में पैरवी की हो। असिस्टेंट एडवोकेट जनरल के लिए पांच साल और पिछले तीन वर्षों मेें 35 मामले में केस की पैरवी करने का अनुभव रखा गया है।जयराम सरकार ने पूर्व कांग्रेस सरकार के कई और फैसलों को पलट दिया है। धर्मशाला के तपोवन में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हिमाचल प्रदेश बीवरेज कॉरपोरेशन को भंग करने का बड़ा फैसला लिया गया। नई सरकार आबकारी नीति को भी बदल देगी।शराब का थोक कारोबार अब बीवरेज कॉरपोरेशन के तहत नहीं, बल्कि पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही होगा। अब शराब की थोक सप्लाई का काम ठेके पर मिलेगा। लाइसेंस की प्रक्रिया भी बदली जाएगी। शराब पर एमएसपी (अधिकतम बिक्री मूल्य) की जगह एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) प्रभावी होगा।

इससे शराब के मनमाने रेट नहीं वसूले जा सकेंगे। साथ ही आबकारी नीति से पिछले दो वर्षों में हुए राजस्व घाटे पर भी जांच बैठा दी है। विधानसभा परिसर में आयोजित कैबिनेट बैठक में पूर्व सरकार के समय में राजनीतिक द्वेष से दर्ज केस वापस लेने को भी मंजूरी दे दी गई है। भाजपा सरकार ने आबकारी नीति में एल1 डी और एल13 डी की व्यवस्था को गलत करार देते हुए उसे राजस्व घाटे के लिए जिम्मेदार ठहराया। इससे प्रदेश सरकार को करोड़ों का राजस्व घाटा हुआ है। मुख्यमंत्री जयराम ने इसकी जांच करवाने का निर्णय लिया है। सूत्रों की मानें तो जांच से कुछ बड़े शराब कारोबारियों पर शिकंजा कस सकता है। बीवरेज कॉरपोरेशन को लेकर भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोला था।कांग्रेस सरकार के खिलाफ राज्यपाल को सौंपी चार्जशीट में भी इसका उल्लेख था। अब सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने इस पर अहम फैसला लिया है। इस फैसले के बाद अब शराब को लेकर नई नीति तैयार की जाएगी।

पूर्व सरकार ने पहले शराब की बिक्री को लेकर रेट पर भी कई फैसले लिए थे और इसकी मार ग्राहकों पर पड़ रही थी। अब नई सरकार की नई आबकारी नीति में पूर्व सरकार की कमियों को दूर करते हुए नई नीति लाई जाएगी।हिमाचल सरकार ने नींबू प्रजाति के फलों का खरीद मूल्य बढ़ा दिया है। तीनों श्रेणियों में ये बढ़ोतरी 50 पैसे की दर से की गई है।  बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल ने यह फैसला लिया है कि नींबू प्रजाति जैसे किन्नू, माल्टा, गलगल और संतरे के फलों का मंडी मध्यस्थता योजना के तहत खरीद मूल्य बढ़ाया जाएगा। 500 मीट्रिक टन किन्नू, माल्टा, गलगल और संतरे की बी कैटेगरी के लिए खरीद मूल्य सात रुपये प्रति किलोग्राम रखा जाएगा। पहले ये साढे़ छह रुपये प्रति किलोग्राम था। इसी तरह से सी श्रेणी के लिए ये मूल्य 6.50 रुपये रखा जाएगा।

इससे पहले इसे 6 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा था। तीसरी श्रेणी में 100 मीट्रिक टन गलगल के लिए 5.50 रुपये खरीद मूल्य किया गया है। पहले इसे 5 रुपये की दर से खरीदा जा रहा था।

हिमाचल सरकार ने रघुनाथ मंदिर सुल्तानपुर जिला कुल्लू का अधिग्रहण रद्द करने की अधिसूचना जारी कर ली है। ये अधिसूचना मुख्य आयुक्त मंदिर एवं सचिव भाषा कला संस्कृति पूर्णिमास चौहान ने जारी की है। हिमाचल प्रदेश हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्था और पूर्त विन्यास अधिनियम 1984 की अनुसूची -एक में जोड़ी गई प्रविष्टि 36 में इस मंदिर को भी शामिल किया था। अब इसे हटा दिया गया है।ये फैसला पिछली कैबिनेट बैठक में जयराम सरकार ने लिया था। अब इस मंदिर पर कुल्लू के पूर्व विधायक महेश्वर सिंह का नियंत्रण रह पाएगा। पूर्व वीरभद्र सरकार ने इस मंदिर का सरकारी अधिग्रहण की प्रक्रिया को अंजाम दिया था। 

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