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सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई टली, अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी…..

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नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में आयोध्या विवाद पर गुरुवार को सुनवाई हुई। तीन जजों की बेंच ने कहा वह पहले मुख्य पक्षकारों की दलीलें सुनेगी, फिर दूसरी पिटीशंस पर विचार करेगी। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि अब बीच में नई पिटीशन मंजूर नहीं की जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई 14 मार्च तय कर दी। इससे पहले इस केस पर 8 दिसंबर को भी सुनवाई हुई थी, लेकिन दस्तावेजों का ट्रांसलेशन नहीं हो पाया था, इसलिए कोर्ट ने तारीख दो महीने और बढ़ा दी थी। तब कुल 19,590 पेज में से सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के हिस्से के 3,260 पेज जमा नहीं हुए।न्यूज एजेंसी ने हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन के हवाले से बताया कि दोनों पक्षों ने कोर्ट से इस केस की हर दिन सुनवाई करने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह फैसला भी अगली सुनवाई के दिन 14 मार्च को किया जाएगा।

उस वक्त सुनवाई टालने की मांग करते हुए बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह केस सिर्फ भूमि विवाद नहीं, राजनीतिक मुद्दा भी है। चुनाव पर असर डालेगा। 2019 के चुनाव के बाद ही सुनवाई करें। हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को बेतुका बताते हुए कहा- हम राजनीति नहीं, केस के तथ्य देखते हैं।पिछली सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अगली सुनवाई की तारीख 8 फरवरी तय की थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि उस दिन कोई भी डॉक्युमेंट्स के नाम पर सुनवाई टालने की मांग नहीं करेगा। सभी पक्ष अपने डॉक्युमेंट्स तैयार करें। दूसरे पक्षों के साथ बैठकर कॉमन मेमोरेंडम बनाएं। कोर्ट ने 11 अगस्त को 7 लैंग्वेज के डॉक्युमेंट्स का ट्रांसलेशन करवाने को कहा था।

राम मंदिर के समर्थन में आए पक्षकारों का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 90 सुनवाई में ही फैसला दे दिया था। पक्षकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट 50 सुनवाई में फैसला दे सकता है।

हालांकि बाबरी मस्जिद से जुड़े पक्षकार ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि केस में दस्तावेजों का अंबार हैं, उन सभी पर प्वाइंट टू प्वाइंट दलीलें रखी जाएंगी। हिंदू महासभा के वकील विष्णु शंकर जैन नेे बताया कि केस में 7 भाषाओं हिंदी, उर्दू, पाली, संस्कृत, अरबी आदि के ट्रांसलेटेड डॉक्युमेंट्स जमा हो चुके हैं।

पिछली सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस केस की सुनवाई लोकसभा चुनाव तक टालने की मांग की थी।

उन्होंने कहा, “कृपया होने वाले असर को ध्यान में रखकर इस मामले की सुनवाई कीजिए। कृपया इसकी सुनवाई जुलाई 2019 में की जाए, हम यकीन दिलाते हैं कि हम किसी भी तरह से इसे और आगे नहीं बढ़ने देंगे। केवल न्याय ही नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए।”

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “ये किस तरह की पेशकश है? आप कह रहे हैं जुलाई 2019। क्या इससे पहले मामले की सुनवाई नहीं हो सकती?”

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