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हिमाचल में 80 फीसदी घटा बिजली उत्पादन, गर्मियों में पड़ोसी राज्यों पर पड़ सकता है असर….

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उत्पादन में इसी तरह की कमी रही तो पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली को आने वाले समय में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कम बिजली उत्पादन की वजह से इन राज्यों को दी जाने वाली बिजली की दरों में कटौती हो सकती है। बारिश और बर्फबारी न होने से प्रदेश की नदियों और नालों में जल स्तर घट गया है।प्रदेश में वर्तमान समय में बिजली उत्पादन घटकर 45 लाख यूनिट पहुंच चुका है। जबकि प्रदेश को इस समय करीब 275 लाख यूनिट की जरूरत है। सभी छोटी-बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं में मात्र 10 से 12 फीसदी तक ही उत्पादन हो रहा है।हिमाचल में रोजाना करीब 1200 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ती है, लेकिन उत्पादन मात्र 45 लाख यूनिट हो रहा है। अब गर्मियों में बाहरी राज्यों को बैंकिंग और एक्सचेंज बेसिस पर दी जाने वाली बिजली से हिमाचल की मांग पूरी की जा रही है। बिजली संकट से राहत देने के लिए इन दिनों हिमाचल सेंट्रल सेक्टर से 98 लाख यूनिट, बैंकिंग से 132 लाख यूनिट बिजली लेकर काम चला रहा है। बैंकिंग तौर पर ली जाने वाली बिजली की सिलसिला मार्च महीने तक चलेगा।
हालांकि राज्य बिजली बोर्ड के मुताबिक प्रदेश में अभी तक विद्युत संकट जैसे हालात नहीं हैं। प्रदेश की सबसे बड़ी 1500 मैगावाट की नाथपा झाकड़ी परियोजना में जहां औसतन 36 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हर रोज होता है। वहीं, वर्तमान में यह 6.5 मिलियन यूनिट रह गया है. लेकिन इन परियोजनाओं में उत्पादन कम हो गया है। नाथपा झाकड़ी में 30 मिलियन यूनिट उत्पादन कम हो रहा है। प्रदेश के अपने हाईड्रो प्रोजेक्टों में औसतन 200 से 220 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है। लेकिन सर्दियों के मौसम में हर साल ये उत्पादन घट जाता है।

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