Home धर्म/ज्योतिष नवरात्र के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा….

नवरात्र के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा….

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माँ चंद्रघंटा माँ पार्वती का सुहागिन स्वरुप है. इस स्वरुप में माँ के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित है इसीलिए इनका नाम चन्द्र घंटा पड़ा. माँ चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है एवं उनको असीम शांति और वैभवता की प्राप्ति होती है. माँ चंद्रघंटा के ध्यान मंत्र, स्तोत्र एवं कवच पाठ से साधक का मणिपुर चक्र जागृत होता है जिससे साधक को सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है.

चंद्रघंटा को शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है. माता चंद्रघंटा का शरीर स्वर्ण के समान उज्ज्वल है, इनके दस हाथ हैं. दसों हाथों में खड्ग, बाण आदि शस्त्र सुशोभित रहते हैं. इनका वाहन सिंह है.

नवरात्रि के वस्त्रों का रंग एवं प्रसाद नवरात्र के तीसरे दिन आप पूजा में हरे रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन “बृहस्पति सम्बंधित शांति पूजा” के लिए सर्वोत्तम दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन दूध या दूध से बनी मिठाई अथवा खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें. इससे जीवन में सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है

नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है. इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है. माँ चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं और ज्योतिष में इनका सम्बन्ध मंगल नामक ग्रह से होता है.

माँ चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता हैमाँ को लाल पुष्प,रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है इस दिन इस चक्र पर “रं” अक्षर का जाप करने से  मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहनी चाहिए रक्त , दुर्घटना और पाचन तंत्र की समस्याएँ दूर होती हैं घबराहट ,बेचैनी और भय की समस्या दूर होती है मंगल ग्रह की पीड़ा शांत होती है साथ ही मंगल दोष का निवारण होता है

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता. प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ अगर कुंडली में मंगल कमजोर है या मंगल दोष है तो आज की पूजा विशेष परिणाम दे सकती है.आज की पूजा लाल रंग के वस्त्र धारण करके करें माँ को लाल फूल , ताम्बे का सिक्का अर्पित करें और हलवा या मेवे का भोग लगायें .

पहले माँ के मन्त्रों का जाप करें फिर मंगल के मूल मंत्र “ॐ अँ अंगारकाय नमः” का जाप करें माँ को अर्पित किये गए ताम्बे के सिक्के को अपने पास रख लें  चाहें तो इस सिक्के में छेद करवाकर लाल धागे में गले में धारण कर लें आज माँ को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए  इसे स्वयं भी ग्रहण करें और दूसरों को भी दें वर्तमान में चल रहा दुःख दूर हो जाएगा

 

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