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डूब क्षेत्र में नहीं जाने का बांड भरने से इनकार करने पर मेधा को भेजा जेल….

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दो दिन अस्पताल में रहने के बाद नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर बुधवार को अस्पताल से डिस्चार्ज हो गईं। शाम को वह दोबारा डूब क्षेत्र चिखल्दा के लिए निकलीं, लेकिन राऊ से पीथमपुर के बीच पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

पुलिस ने मेधा की कार से ड्राइवर को उतार दिया और और कार कब्जे में लेकर उसी से उन्हें 55 किलोमीटर दूर धार जिला जेल ले जाया गया। पुलिस ने मेधा के खिलाफ धारा 151 के तहत शांति भंग की कार्रवाई की थी। इसके लिए रात पौने 8 बजे जेल गेट पर ही कोर्ट लगी। यहां एसडीएम भव्या मित्तल ने धारा 151 के तहत मेधा को बांड भरकर देने काे कहा कि वह दोबारा डूब क्षेत्र में नहीं जाएंगी। मेधा ने बांड भरने से इनकार किया तो एसडीएम ने उन्हें जेल भेजने का आदेश दे दिया।

कुक्षी विधायक ने पूछा- 60 साल की महिला ने कौन-सी शांति भंग कर दी
मेधा को जेल भेजने के आदेश के बाद कुक्षी विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल और कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष धीरज दीक्षित की एसडीएम से बहस भी हुई। विधायक ने पूछा- 60 साल की महिला ने ऐसी कौन सी शांति भंग कर दी, जिससे उन्हें जेल भेजा जा रहा है। हालांकि एसडीएम ने कहा कि यदि वे बांड भरती हैं तभी उन्हें छोड़ा जाएगा। घटना के बाद धार जेल के बाहर स्थानीय लोगों ने हंगामा भी किया।
गांधीवादी तरीके से आंदोलन में कौन सी शांति भंग हो गई :मेधा
मेधा की कार जब जेल गेट पर पहुंची तो उन्होंने कार के अंदर से चिल्लाकर कहा कि मेरे साथ आतंकवादियों की तरह व्यवहार किया है। गांधीवादी तरीके से अहिंसक आंदोलन और उपवास करने से कौन सी लोक शांति भंग हो गई। उन्होंने कहा- मैं अपना अनशन जारी रखूंगी।
चिखल्दा में अनशन जारी- 200 से ज्यादा डूब प्रभावित परिवारों ने निकाला दांडी मार्च
उधर, चिखल्दा में डूब प्रभावितों का आंदोलन जारी है। बुधवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में 200 से ज्यादा डूब परिवारों ने धार जिले से नर्मदा पार होकर 6 किमी का दांडी मार्च निकाला। सभी पैदल चलकर बड़वानी के पास विस्थापित गांधी समाधि पहुंचे। यहां सभा में कार्यकर्ताओं ने कहा- राष्ट्रपिता की समाधि का पुनर्वास नहीं किया। उन्हें भी टीनशेड में लाकर रख दिया।
हाई कोर्ट में सुनवाई आज
बांध से प्रभावित हो रहे धार, बड़वानी व अन्य जिलों के पुनर्वास को लेकर डूब प्रभावितों की 10 अगस्त को याचिका की सुनवाई होना है।
मेधा लौटने को तैयार नहीं थीं, इसलिए गिरफ्तार करना पड़ा
मेधा को बड़वानी जाने से रोका गया, लेकिन वह लौटने को तैयार नहीं हुईं। तब उन्हें गिरफ्तार किया गया। उनके वहां पहुंचने से विस्थापितों के उग्र होने की आशंका थी।

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