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भारतीय प्रधानमंत्री के लिए पहली बार जिनपिंग ने तोड़ा प्रोटोकॉल, म्यूजियम में मिले दोनों नेता…

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नरेंद्र मोदी गुरुवार को दो दिन के दौरे पर चीन पहुंचे। चार साल में उनका यह चौथा चीन दौरा है। मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 6 मुलाकातें होनी है। शुक्रवार को पहली मुलाकात हुबेई म्यूजियम में हुई। शनिवार सुबह दोनों नेता झील किनारे पैदल घूमेंगे, फिर नाव पर चर्चा करेंगे। इन मुलाकातों को ‘अनौपचारिक शिखर वार्ता’ नाम दिया गया है। वहीं, जिनपिंग ने भारतीय प्रधानमंत्री से अनौपचारिक बातचीत के लिए पहली बार प्रोटोकॉल तोड़ा। इस बीच, विपक्ष ने सवाल किया है कि क्या मोदी डोकलाम विवाद का मुद्दा उठाएंगे?

1) मोदी सबसे ज्यादा चौथी बार चीन का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। उनसे पहले उनसे पहले मनमोहन सिंह तीन बार चीन गए थे। 4 साल में जिनपिंग सिर्फ एक बार भारत आए हैं।
2) मोदी ऐसे पहले पीएम हैं जिनके लिए जिनपिंग ने प्रोटोकॉल तोड़कर अनौपचारिक बातचीत तय की है। अभी तक मोदी की आधिकारिक मुलाकात प्रधानमंत्री ली केकियांग से होती रही थी। केकियांग के बाद वे जिनपिंग से मिलने जाते थे।
3) पहली बार ऐसा हो रहा है, जब भारत-चीन के किसी नेता की बैठक के बाद ना तो संयुक्त बयान जारी होगा, ना ही मीडिया ब्रीफिंग होगी।
4) मोदी-जिनपिंग के बीच यह 11वीं बार बातचीत होगी। इससे पहले मोदी सबसे ज्यादा 8 बार अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिले थे।

24 घंटे में मोदी-जिनपिंग के बीच 6 मीटिंग
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) शुक्रवार को दोनों नेताओं की पहली मुलाकात हुबेई म्यूजियम में होगी। यहां एक खास प्रदर्शनी लगाई गई है।
2) मोदी-जिनपिंग की दूसरी चर्चा ईस्ट लेक के पास स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में होगी। इसमें दोनों तरफ से 6-6 अफसरों का प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा।
3) दोनों नेताओं के बीच डिनर के बाद भी चर्चा होगी।
4) शनिवार सुबह दोनों नेता ईस्ट लेक के किनारे टहलते हुए चर्चा करेंगे।
5) इसके बाद मोदी और जिनपिंग नाव की सवारी करेंगे।
6) शनिवार को लंच के दौरान भी दोनों नेताओं की मुलाकात होगी।

चीन में भारत के रक्षा सलाहकार रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हन कहते हैं कि मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जिनके लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अनौपचारिक शिखर बैठक तय की है। प्रोटोकॉल पर बेहद ध्यान देने वाली चीनी राजनीति में यह बहुत बड़ा अपवाद है। “चीन का राष्ट्रपति किसी दूसरे देश के प्रधानमंत्री के साथ शिखर बैठक करे, यह वाकई बड़ी कूटनीतिक घटना है। यह मोदी-जिनपिंग के बीच के निजी रेपो से संभव हो पाया है।”

“अभी तक मोदी जब भी चीन की यात्रा पर आए, उनकी आधिकारिक मुलाकात प्रधानमंत्री ली केकियांग से होती रही थी। इसके बाद वह राष्ट्रपति जिनपिंग से मिलते थे। इसीलिए वुहान में अनौपचारिक शिखर बैठक तय की गई है। दरअसल, बीजिंग में बैठक होने से प्रोटोकॉल आड़े आ जाता।”

सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज के निदेशक लेफ्टीनेंट जनरल विनोद भाटिया ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बाद चीन ने मोदी के लिए यह प्रोटोकॉल तोड़ा है। जब प्रधानमंत्री के बजाए खुद राष्ट्रपति उनके साथ शिखर बैठक करेंगे। अमेरिका में प्रधानमंत्री का पद है ही नहीं। यह दुनिया के सबसे पावरफुल नेताओं में से दो की मुलाकात है।

मोदी के दौरे की तुलना 1988 में हुए राजीव गांधी के चीन दौरे से की जा रही है। तब 1962 के भारत-चीन युद्ध के 26 साल बाद राजीव ने दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को दूर करने की कोशिश की थी। डेंग शियाओपिंग से उनकी मुलाकात काफी हद तक कामयाब भी रही थी।

डोकलाम विवाद
मोदी-जिनपिंग की इस अनौपचारिक शिखर वार्ता को डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट दूर करने की कोशिश भी समझी जा रही है। इसमें 2 साल से संबंधों में आई तल्खी को दूर करने और रिश्तों को और मजबूत करने की पहल संभव है। आर्थिक गतिविधि बढ़ाने पर भी बात हो सकती है।

एनएसजी सदस्यता
बैठक के लिए एजेंडा घोषित नहीं है। पर इसमें डोकलाम के अलावा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, एनएसजी सदस्यता, व्यापार और भारत में चीनी निवेश पर बातचीत हो सकती है। चीन 2013 में बॉर्डर डिफेंस को-ऑपरेशन एग्रीमेंट पर अलग फ्रेमवर्क का प्रस्ताव रख सकता है।

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