Home Bhopal Special पोषण पर वैज्ञानिक चिंतन, बदलते समय की आवश्यकता: अर्चना चिटनिस…

पोषण पर वैज्ञानिक चिंतन, बदलते समय की आवश्यकता: अर्चना चिटनिस…

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मंत्री अर्चना चिटनिस ने कहा कि, खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर लेने के बाद अब कृषि को पोषण से जोड़ने और पोषण जागरूकता के लिए व्यापक अभियान चलाने की आवश्यकता है। इस स्थिति पर विचार-विमर्श और दिशा निर्धारण के लिए भोपाल में 14 से 16 मई 2018 तक पोषण संवेदी कृषि और पोषण जागरूकता पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है।
चिटनिस ने बताया कि, महिला-बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में तकनीकी सहयोग भारतीय अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर का है। दीनदयाल शोध संस्थान दिल्ली आयोजन का नॉलेज पार्टनर है। प्रदेश का कृषि तथा किसान कल्याण विभाग, यूनिसेफ मध्यप्रदेश, इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट भी इसमें सहयोगी है।
कार्यशाला में होने वाले विमर्श के परिणाम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के माध्यम से नीति आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये जाएंगे, ताकि भोजन के स्त्रोत में पोषण की प्रचुरता उपलब्ध कराकर देश में महिलाओं और बच्चों में पोषण की समस्या का स्थायी निराकरण किया जा सके। उन्होंने बताया कि पोषण जागरूकता की दिशा में प्रदेश में लगातार प्रयास जारी है।मंत्री अर्चना चिटनिस ने कहा कि, प्रदेश के सभी 313 विकाखंडों में से प्रत्येक में एक गांव को न्यूट्रिशन स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित किया गया है। यह गांव पोषण संवेदी कृषि और पोषण जागरूकता पर कार्य करते हुए, पोषण आत्मनिर्भर गांव के वर्किंग मॉडल के रूप में विकसित हो रहे हैं। इस विषय पर विचार मंथन और जागरूकता के लिए 2016-17 से जारी कार्यशालाओं का समापन इस अन्तराष्ट्रीय कार्यशाला से किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि, कार्यशालाओं का समापन इस अन्तराष्ट्रीय कार्यशाला से किया जायेगा। जिसने खाद्य सुरक्षा और पोषण संवेदी कृषि की दिशा में नवाचार, ग्राम स्तरीय संस्थाओं के क्षमता विकास, ग्रामीण व्यापार वाणिज्य से जुड़े विषय, पोषण साक्षरता, बच्चों तथा माताओं के पोषण स्तर में सुधार के लिए कार्य योजना निर्धारण और प्रबंधन पर विचार-विमर्श होगा।
मंत्री अर्चना चिटनिस ने कहा कि, ‘जो खायें वो उगायें-जो उगायें वो खायें’ का सिद्धांत कार्यशाला के संचालन का आधार होगा। कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर केन्द्रित प्रदर्शनी तथा जीवंत स्टॉल भी लगाये जायेंगे। कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिक, पोषण आहार विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, खाद्य पदार्थों के शोधकर्ता तथा अन्य विशेषज्ञ भाग लेगे।

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