Home राष्ट्रीय करोड़ों के घोटाले में फंसे रोटोमैक के मालिक पर अस्पताल की मेहरबानी!…..

करोड़ों के घोटाले में फंसे रोटोमैक के मालिक पर अस्पताल की मेहरबानी!…..

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बैंक से धोखाधड़ी कर धन का दुरुपयोग करने के आरोपी रोटोमैक पेन कंपनी के चेयरमैन विक्रम कोठारी जेल छोड़ बीते तीन महीने से केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती हैं। ऐसे में उनके इलाज पर सवाल उठने लगे हैं।

लखनऊ की जिला जेल में बंद विक्रम कोठारी की 22 मार्च 2018 को तबीयत बिगड़ी थी। उन्हें केजीएमयू में लाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि चक्कर आने व अनियंत्रित डायबिटीज के कारण उन्हें भर्ती कराया गया। विभिन्न विभागों में उनका इलाज चला। 21 अप्रैल को 69 वर्षीय विक्रम कोठारी को शताब्दी अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया।

डॉक्टर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, गठिया, स्पांडिलाइटिस समेत कई बीमारियों का इलाज कर रहे हैं। न्यूरो सर्जरी विभाग के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. अनिल चन्द्रा ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि केजीएमयू प्रवक्ता से जानकारी ली जा सकती है। जेल प्रशासन की कई चिट्ठियों के बाद केजीएमयू ने आठ डॉक्टरों की टीम गठित की। सवाल उठ रहा है कि जब इलाज से सुधार नहीं है तो फिर उन्हें क्यों भर्ती रखा गया है? उच्च संस्थान में रेफर करने में क्या अड़चन आ रही है?

बैंक से धोखाधड़ी कर धन का दुरुपयोग करने के आरोपी रोटोमैक पेन कंपनी के चेयरमैन विक्रम कोठारी जेल छोड़ बीते तीन महीने से केजीएमयू के न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती हैं

जेल प्रशासन के कई पत्रों के बाद केजीएमयू में बोर्ड गठित

केजीएमयू में करीब 45 सौ बेड हैं। ट्रॉमा सेंटर में 400 बेड हैं। ट्रॉमा सेंटर में रोजाना सिर में चोट लगे तमाम मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बेड भरने की दशा में मरीजों का स्ट्रेचर पर इलाज उपलब्ध कराया जाता है। बेड भरने पर गंभीर मरीजों को लौटा दिया जाता है। इन हालात में न्यूरो सर्जरी विभाग में लंबे समय तक एक मरीज को भर्ती रखने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। न्यूरो सर्जरी विभाग में एक-एक बेड को लेकर मारामारी है। इसके बावजूद यहां 21 अप्रैल से उन्हें भर्ती रखा गया है। कोठारी पर मेहरबानी को लेकर केजीएमयू में चर्चा शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऑपरेशन होना है तो उसमें देरी क्यों हो रही है? ऑपरेशन में दूसरी शारीरिक समस्याएं रोड़ा हैं तो उसका समुचित इलाज उपलब्ध कराया जाए?

आठ डॉक्टरों की कमेटी ने की जांच

विक्रम कोठारी का इलाज आठ डॉक्टरों की टीम कर रही है। जेल प्रशासन की चिट्ठी के बाद केजीएमयू ने आठ सदस्यी कमेटी बनाई। कमेटी के अध्यक्ष केजीएमयू के सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार, न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग, इंडोक्राइन मेडिसिन विभाग के डॉ. मधुकर मित्तल, मेडिसिन विभाग के डॉ. केके सवलानी, कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ. ऋषि सेट्ठी, हड्डी रोग विभाग के डॉ. संतोष कुमार, एनस्थीसिया विभाग की डॉ. अनीता मलिक व न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. सुनील सिंह शामिल हैं।

एम्स में इलाज की सिफारिश की कमेटी ने

आठ डॉक्टरों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इलाज के बाद भी विक्रम कोठरी की सेहत में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसी दशा में उन्हें जेल अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सकता है। एम्स जैसे उच्च संस्थान में उन्हें भर्ती कराया जा सकता है। क्योंकि तीन महीने के इलाज के बाद भी उनकी सेहत में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हुआ है।

जेल जाने के कुछ ही दिन बाद अस्पताल में भर्ती हो गए थे कोठारी

रोटोमैक का मालिक विक्रम कोठारी जेल में दाखिल होने के कुछ दिन बाद ही केजीएमयू में भर्ती हो गए थे। जेल प्रशासन ने कई बार केजीएमयू को पत्र भेजकर विक्रम कोठारी के स्वास्थ्य की प्रगति आख्या मांगी लेकिन केजीएमयू द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद जेल प्रशासन और परिक्षेत्र डीआईजी ने न्यायालय का हवाला देते हुए मेडिकल बोर्ड गठित कर बंदी का परीक्षण कराने की बात कही। करीब ढाई माह बाद गठित मेडिकल बोर्ड ने बंदी के इलाज की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि बंदी को जेल नहीं भेजा सकता है।

जेल अस्पताल में इलाज संभव

परिक्षेत्र डीआईजी जेल उमेश कुमार श्रीवास्तव ने केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक को पत्र भेजेकर कहा था कि केजीएमयू में भर्ती विचाराधीन बंदी विक्रम कोठारी को छुट्टी देकर जेल अस्पताल में भर्ती कर दिया जाए। जो दवाएं केजीएमयू में चल रही हैं। वहीं दवाएं जेल अस्प्ताल में दी जा सकती हैं। उन्होंने कहा था कि बंदी विक्रम कोठारी आर्थिक घोटाले के अभियोग में जेल में बंद है।

सामान्य बंदियों को नहीं मिलती पुलिस गारद

जेल से बाहर अस्पताल में इलाज के लिए जाने वाले सामान्य बंदियों की निगरानी के लिए पुलिस गारद बमुश्किल से मिलती है। यदि मिलती भी है तो दो-चार दिन बाद पुलिस लाइन के आरआई बंदी की निगरानी में लगे सिपाहियों को हटा लेते हैं। विक्रम कोठारी के मामले में लगातार जेल प्रशासन के पत्राचार के बाद भी पुलिस उसकी निगरानी में लगी हुई है।

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