Home हिमाचल प्रदेश हिमाचल के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर से एक करोड़ की ठगी..

हिमाचल के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर से एक करोड़ की ठगी..

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इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह खासकर बुजुर्ग लोगों को निशाना बनाता था। आरोपियों ने हिमाचल प्रदेश के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर से करीब एक करोड़ रुपये की ठगी की है। दिल्ली पुलिस व हिमाचल प्रदेश पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई कर चार आरोपियों रोहित रॉय (27), इशान किरार (21), अभिषेक विरमानी (21) और विवेक रे (23) को गीता कॉलोनी से गिरफ्तार किया है।

पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आरोपी अब तक कितने लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं। अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड से चीफ इंजीनियर पद से रिटायर्ड व सीनियर सिटीजन भूपिंद्र किशोर रामफल (80) ने नुरपूर थाना पुलिस, कांगड़ा हिमालच में ठगी की शिकायत की थी। उन्होंने बताया था कि उनके पास दो-तीन वर्षों से फोन आ रहे थे।

फोन करने वालों ने खुद को आरबीआई अधिकारी बताया और इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर बोनस व अतिरिक्त पैसा देने का झांसा दिया। आरोपियों के कहने पर भूपिंद्र किशोर रामफल ने उनके बताए खातों में करीब एक करोड़ रुपये जमा कर दिए थे। इस मामले को थाना नुरपूर कांगड़ा हिमाचल पुलिस जांच कर रही थी। हिमाचल पुलिस ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा से सहायता मांगी। दिल्ली पुलिस व हिमाचल पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर चार आरोपियों को गीता कॉलोनी से गिरफ्तार कर लिया।

आरोपी रोहित रॉय के पिता की स्पेयर पार्ट्र्स बनाने की फैक्टरी है। ये वर्ष 2013 से कॉल सेंटर में काम कर रहा था। इसी दौरान आरोपी इशान किरार, अभिषेक व विवेक रे के साथ ठगी करने लगा। ये लोगों को फोन कर खुद को आरबीआई का मैनेजर बताता था। इशान किरार के पिता की एसी के स्पेयर पार्ट्स की दुकान थी। इशान आरबीआई का फर्जी डायरेक्टर बनता था।

अभिषेक पीड़ितों को मेल भेजता था। विवेक खुद को असिस्टेंट बताता था। सभी आरोपियों ने अपना करियर कॉल सेंटरों से शुरू किया था। ये लोगों को फोन कर पॉलिसी के नाम पर बोनस व अधिक मुनाफा देने का लालच देकर ठगी करते थे। आरोपी ऐसे लोगों को अपना शिकार बनाते थे जो रिटायर्ड थे। कोई पीड़ित इनके दिए गए अकाउंट में पैसा जमा कराता था तो आरोपी इंश्योरेंस की एनओसी, आयकर पेमेंट और सर्विस टैक्स पेमेंट के नाम पर मोटी रकम लेते थे। इसके बाद गायब हो जाते थे। आरोपियों ने अपने परिजनों को बता रखा था कि वह कॉल सेंटर में काम करते हैं।

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