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युवाओं को रोजगार के लिये तेजी से काम करती मध्यप्रदेश सरकार….

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मध्यप्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिये विभिन्न क्षेत्र में प्रतिबद्धता से काम कर रही है। राज्य की योजनाओं के अलावा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा युवाओं को रोजगार देने, उन्हें कौशलयुक्त बनाने और उद्योग-व्यवसाय क्षेत्र का विकास कर रोजगार सुलभ कराने की योजनाओं पर भी प्रदेश में तेजी से काम किया जा रहा है।

स्किल इंडिया

वर्तमान में मध्यप्रदेश में कुल 225 शासकीय एवं 703 निजी आईटीआई संचालित है, जिनमें प्रवेश की क्षमता क्रमश: 49 हजार और एक लाख 15 हजार सीट है। इन संस्थानों में एक वर्षीय एवं दो वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।

आईटीआई में अप्रेंटिसशिप प्रशिक्षण तथा शिल्पकार ट्रेनिंग योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। प्रदेश की 36 आईटीआई में विश्व बैंक के सहयोग से वर्ष 2007 से कुल 119 करोड़ रुपये के अनुदान से मशीन, औजार एवं उपकरण का उन्नयन किया गया है। केंद्र सरकार के प्रति आईटीआई रुपये ढाई करोड़ के ब्याज रहित ऋण से 74 आईटीआई में इंस्टीट्यूट मैनेजिंग कमेटी द्वारा निर्माण कार्य, उपकरण एवं मानव संसाधनों की उपलब्धता का कार्य किया जा रहा है।

समाज के सभी वर्गों के कौशल विकास के लिये एकलव्य एवं डॉ. अम्बेडकर योजना संचालित है। इनमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के युवाओं को प्राथमिकता से प्रशिक्षित किया जाता है। केवल महिलाओं के लिए 14 महिला आईटीआई संचालित हैं।

कौशल विकास का सर्वव्यापीकरण

प्रदेश में कौशल विकास के सर्वव्यापीकरण के लिये एडीबी से लगभग 1500 करोड़ रुपये (2.40 मिलियन डालर) का ऋण प्राप्त करने की कार्यवाही अंतिम चरण में है। इसमें भोपाल में वर्ल्ड क्लास वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना प्रमुख है जिसमें उद्यमिता विकास तथा प्लेसमेंट सेल शामिल है। इसके अलावा संभाग स्तर की संस्थाओं का स्टेट ऑफ द आर्ट संस्थाओं में उन्नयन और अन्य संस्थाओं में अधोसंरचना का विकास करना है। डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट एवं नेशनल स्किल डेवलपमेंट एजेन्सी की साझेदारी से प्रदेश को कौशल विकास के क्षेत्र में क्षमतावर्धन हेतु सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

प्रदेश में अल्प अवधि के कौशल विकास के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद गठित की गई है। परिषद राज्य कौशल विकास मिशन के रूप में कार्यरत है। परिषद प्रदेश में 135 शासकीय कौशल विकास केन्द्र संचालित कर रही है। इन केन्द्रों में अल्पावधि का व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। इन केन्द्रों द्वारा लगभग 70 हजार युवक-युवतियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। एम.पी.सी.वी.इ.टी. द्वारा केन्द्र सरकार की मॉड्यूलर एम्प्लयाबल स्किल योजना में लाखों प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षित किया गया है। प्रदेश में 5,000 निर्माण क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को रिकगनिशन ऑफ प्रायर लर्निंग कार्यक्रम में मूल्यांकित एवं प्रमाणित किया जा चुका है। कौशल विकास में उद्योगों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये मारूति, टोयोटा, डी-ऑटो, एम-आएप्स, सान्ग किचन इत्यादि से फलेक्सी एमओयू किये गये हैं।

लेबर मार्किट इन्फार्मेशन सिस्टम का विकास करने के लिये प्रदेश में सर्वेक्षण किया जा चुका है। केंद्रीय स्तर पर निर्मित नेशनल केरियर सर्विस पोर्टल की टीम के साथ प्रदेश स्तरीय सिस्टम की चर्चा प्रांरभ की जा चुकी है। सभी आईटीआई में प्लेसमेंट सेल की स्थापना कर प्लेसमेंट ऑफिसर की नियुक्ति की गई है। आई.टी.आई. एवं अन्य कौशल कार्यक्रमों में प्रशिक्षित युवाओं एवं युवतियों को स्व-रोजगार एवं उद्योग से जुड़ने के लिये इन्टरप्रेन्योरशिप एन्ड स्टार्टअप इन्क्यूबेशन सेन्टर की स्थापना के प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य स्तरीय कौशल विकास योजना प्रस्तावित की गई है। इस योजना में पचास हजार युवक-युवतियों को अल्प अवधि का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

सरकार ने यह निर्णय भी लिया है कि प्रतिवर्ष साढ़े सात लाख युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार या स्व-रोजगार में स्थापित करने के प्रयास किये जायेंगे। कौशल और स्व-रोजगार को जोड़ते हुए प्रदेश के युवाओं के लिये युवा सशक्तिकरण मिशन चलाने का निर्णय लिया गया है।

प्रदेश के युवक-युवतियों के लिये रोजगार एवं स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये लघु अवधि प्रशिक्षण देने की दो महत्वाकांक्षी योजनाएँ ‘मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना’ और ‘मुख्यमंत्री कौशल्या योजना’ प्रारम्भ की गई है। इन योजनाओं में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिये अभी तक छह लाख से ज्यादा युवक-युवतियाँ ऑनलाईन पंजीयन के माध्यम से अपनी इच्छा प्रदर्शित कर चुके हैं। दोनों योजनाओं में प्रतिवर्ष साढ़े चार लाख युवक-युवतियों को राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विभिन्न सेक्टर्स में प्रशिक्षित किया जायेगा।

स्टार्ट अप इंडिया

भारत सरकार ने जनवरी से स्टार्ट-अप एक्शन प्लान घोषित कर स्टार्ट-अप के लिए अनेक सुविधाएँ घोषित की हैं। साथ ही इन्क्यूकेशन सेन्टर्स स्थापित करने के लिए भी योजनाएँ घोषित की गई हैं। मध्यप्रदेश ने भी अपनी ‘इन्क्यूकेशन और स्टार्ट-अप नीति 2016’ बनाकर लागू कर दी है।

लेदर सेक्टर कौशल विकास केन्द्र की स्थापना शिवपुरी, कटनी, ग्वालियर, इन्दौर और जबलपुर में की गई है। भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा देवास में इन्क्यूबेशन सेन्टर की स्थापना की गई है। वस्त्र उद्योग के लिए ग्वालियर में इन्क्यूबेशन सेन्टर की स्थापना की जा रही है। ग्वालियर में ही सीपेट का वोकेशनल ट्रेनिंग सेन्टर शुरू हो गया है। सूचना प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन तीन इन्क्यूबेशन सेंटर्स प्रदेश में संचालित हैं।

स्टेण्ड-अप इंडिया

भारत सरकार द्वारा प्रारंभ स्टेण्ड-अप इंडिया योजना में हर बैंक शाखा में दो, एक महिला तथा एक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, हितग्राही को 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक का स्व-रोजगार ऋण दिया जाना है। प्रदेश में लगभग छह हजार बैंक शाखाएँ कार्यरत हैं। इस तरह प्रदेश के लिए 12 हजार का लक्ष्य है। स्टैण्ड-अप इंडिया तथा इसी प्रकार राज्य शासन द्वारा संचालित मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना को मिलाकर प्रदेश में दस हजार युवाओं को उद्यमियों के रूप में पिछले वर्ष स्थापित किया गया है।

मेक इन इंडिया

भारत सरकार द्वारा मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिये मेक इन इंडिया कार्यक्रम लागू किया गया है। भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश प्रक्रिया को अधिक उदार बनाना, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, बुनियादी और औद्योगिक अधोसरंचना के गतिशील निर्माण से संबंधित विभिन्न निर्णय लिये हैं।

मध्यप्रदेश में भी मेक इन इंडिया के संदर्भ में उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। इनमें प्रदेश में उद्योग एवं व्यापार स्थापित करने और उनके संचालन से संबंधित प्रक्रियाओं को उदार बनाया गया है। इसमें सशक्त सिंगल विण्डो प्रणाली से निवेशकों/ उद्यमियों को विविध सेवाएँ जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन, विद्युत कनेक्शन, प्रदूषण संबंधित अनुमतियाँ, श्रम कानूनों के अधीन पंजीयन, औद्योगिक क्षेत्रों में बिल्डिंग प्लान का अनुमोदन, वॉटर कनेक्शन, वित्तीय रियायतें इत्यादि सेवाएँ उपलब्ध करायी गई हैं। श्रम कानूनों एवं प्रक्रियाओं में सुधार और ऑनलाइन सेवाएँ, ई-स्टाम्प एवं दस्तावेजों का ऑनलाइन पंजीयन, ऑनलाइन एल.टी./ एच.टी. विद्युत कनेक्शन, प्रदूषण अनुमतियों की ऑनलाइन उपलब्धता, नगर निगम क्षेत्रों में भवन निर्माण नक्शों का ऑनलाइन अनुमोदन, फायर अनापत्ति और कामर्शियल कोर्टस् की स्थापना इत्यादि पर भी कार्य किया गया है। उद्योगों की स्थापना एवं औद्योगिक अधोसंरचना के विकास के लिये उपयुक्त शासकीय भूमि का लैण्ड बैंक बनाया गया है।

निवेश प्रोत्साहन के लिये जी.आई.एस.

राज्य में पूँजी निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2016 में विभिन्न सेक्टर्स के लिए रुपये 5.62 लाख करोड़ के निवेश आशय प्रस्ताव प्राप्त हुए। उद्योगों से संबंधित रुपये 11 हजार 272 करोड़ के पूँजी निवेश की 101 परियोजनाएँ स्थापित हो चुकी हैं। रुपये 37 हजार 537 करोड़ के पूँजी निवेश की 99 परियाजनाएँ विभिन्न चरण में क्रियान्वयन अधीन हैं।

नये औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के कार्य

लगभग 2.046 हेक्टेयर क्षेत्र में 19 नवीन आद्योगिक क्षेत्रों की 501 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से स्थापना का कार्य विभिन्न चरण में प्रक्रियाधीन है। साथ ही 13 स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में 1941 हेक्टेयर भूमि पर 1180 करोड़ रुपये के उन्नयन कार्य प्रगति पर है। प्रदेश में 09 नवीन आद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की स्वीकृति दी गयी है। यह औद्योगिक क्षेत्र 2,625 हेक्टेयर भूमि पर 1,914 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विकसित किए जाएंगे।

नया एम.एस.एम.ई. विभाग

प्रदेश के विकास में लघु उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए अप्रैल 2016 में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग का गठन किया गया है। प्रदेश उन छह राज्यों में से एक है, जहाँ पृथक एमएसएमई विभाग है। राज्य शासन ने लघु उद्यमियों के लिए अनेक सुविधाएँ घोषित की हैं। प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र में न्यूनतम 20 प्रतिशत भूमि एमएसएमई इकाइयों के लिए आरक्षित है। सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों के लिए पूँजी लागत सहायता, ब्याज अनुदान की सुविधा उपलब्ध है। एमएसएमई इकाइयों के लिए वैट, बिजली दर, मण्डी और एन्ट्री टैक्स आदि की छूट की सुविधा भी निर्धारित है। एमएसएमई प्रोत्साहन नीति के चलते वर्ष 2016-17 में 87 हजार से ज्यादा एमएसएमई इकाइयों का पंजीयन उद्योग आधार मेमोरण्डम में हुआ है, जो इसके पूर्व वर्ष की संख्या का ढाई गुना है। इनमें प्रदेश में 9500 करोड़ का पूँजी निवेश हुआ और 3 लाख 60 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ। इस वर्ष साढ़े सात लाख लोगों को एमएसएमई के माध्यम से स्व-रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

एमएसएमई इकाइयों को और बढ़ावा देने के लिये एक अक्टूबर, 2016 को एमएसएमई सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में भोपाल में स्थापित होने वाले टूल रूम का शिलान्यास भी हुआ।

युवा उद्यमी योजना

प्रदेश के 18 से 40 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए 10 लाख से लेकर एक करोड़ तक के ऋण बैंकों के माध्यम से दिलाने की योजना प्रारंभ की गई है। योजना के हितग्राहियों को 15 प्रतिशत पूँजी लागत सहायता, पाँच प्रतिशत ब्याज दर सहायता (महिलाओं के लिए 6 प्रतिशत) तथा क्रेडिट गांरटी (सीजीटीएमएससी के माध्यम से) दी जाती है। आवश्यक हैण्ड होल्डिंग मदद भी दी जाती है। योजना के प्रथम दो वर्षों में मध्यप्रदेश में 2,500 युवाओं को लाभान्वित कर औसतन रुपये 35 लाख का ऋण प्रदान किया गया है। भारत सरकार की स्टेण्ड-अप इंडिया योजना में 10 लाख से लेकर एक करोड़ तक का ऋण दिया जाता है। योजना में केन्द्र सरकार द्वारा कोई अनुदान/ सब्सिडी नहीं दी जाती है। मध्यप्रदेश उन बहुत कम राज्यों में से है, जो योजना को अपने बजट से संचालित कर रहा है।

मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना

प्रदेश में मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना लागू की गई है। योजना की पात्रता के लिये प्रदेश का मूल निवासी, न्यूनतम 5वीं कक्षा उत्तीर्ण और आवेदन दिनांक को आयु 18 से 45 वर्ष के मध्य होना है। आवेदक एवं उसका परिवार किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक/ वित्तीय संस्था/ सहकारी बैंक का डिफाल्टर नहीं होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति किसी शासकीय उद्यमी/ स्व-रोजगार योजना में सहायता प्राप्त कर चुका हो, तो वह योजना का पात्र नहीं होगा। यह योजना उद्योग/ सेवा/ व्यवसाय क्षेत्र के लिए है। योजना में परियोजना लागत न्यूनतम रुपये 20 हजार से अधिकतम रुपये 10 लाख तक होगी। परियोजना लागत पर मार्जिन मनी सहायता सामान्य वर्ग के लिए 15 प्रतिशत अधिकतम रुपये एक लाख होगी। बी.पी.एल./ अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर)/ महिला/ अल्पसंख्यक/ निःशक्तजन के लिये 30 प्रतिशत अधिकतम रुपये दो लाख की मार्जिन मनी सहायता का प्रावधान है। ब्याज अनुदान पाँच प्रतिशत की दर अधिकतम रुपये 25 हजार प्रतिवर्ष 7 वर्षों तक देय होगा। योजना में गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम 7 वर्ष तक देय होगी।

मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना

मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना भी लागू की गई है। इस योजना की आवश्यक अर्हताओं में आवेदक का मध्यप्रदेश का मूल निवासी, बी.पी.एल. होना, शैक्षणिक योग्यता का बंधन नहीं, आवेदन दिनांक को हितग्राही की आयु 18 से 55 वर्ष के मध्य, आवेदक एवं उसका परिवार किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक/ वित्तीय संस्था/ सहकारी बैंक का डिफाल्टर नहीं होना है। यदि कोई व्यक्ति किसी शासकीय उद्यमी/ स्व-रोजगार योजना में सहायता ले चुका हो, तो वह योजना का पात्र नहीं होगा। योजना में ”परियोजना लागत” अधिकतम 20 हजार रुपये है।

पिछले वर्ष इन तीनों योजनाओं में एक लाख से ज्यादा हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है। भारत सरकार की स्व-रोजगार योजनाओं को मिलाकर प्रदेश के 5 लाख 40 हजार हितग्राहियों को ऋण सहायता उपलब्ध करवाई गई है।

जॉब फेयर और कॅरियर काउन्सिलिंग

जॉब फेयर योजना में पिछले वर्ष रोजगार कार्यालय के माध्यम से 60 हजार के लक्ष्य के विरूद्ध लगभग 72 हजार बेरोजगार आवेदकों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। इस वित्त वर्ष में 65 हजार बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाने का लक्ष्य है। कॅरियर काउंसिंलिंग योजना में पिछले वर्ष 60 हजार के लक्ष्य के विरूद्ध 78 हजार से ज्यादा बेरोजगारों को व्यावसायिक मार्गदर्शन दिलाया गया। इस वर्ष 65 हजार का लक्ष्य है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान का सपना है कि प्रदेश के युवा हुनरमंद बने, स्वावलंबी बने और विभिन्न क्षेत्रों में कुशल श्रम शक्ति की देश-विदेश में पूर्ति करें। प्रदेश में इस दिशा में तेजी से हो रहा कार्य उनकी इस सदेच्छा की पूर्ति में सहायक हो रहा है।

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